रूस की फौज यूक्रेन में भयंकर तबाही मचा रही हैं। रविवार को रसिया ने Vinnytsia एयरपोर्ट तबाह कर दिया। इसके साथ ही पुतिन की सेना ने Kharkiv के न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर पर भी गोलाबारी की। यूक्रेन का कहना है कि रूस की फौजों ने रॉकेट दागे थे। उधर, अस्तित्व के लिए लड़ रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका से और लड़ाकू विमान भेजने के साथ रूस से तेल आयात कम करने की भावुक अपील की है। उनका कहना है कि हम मौत से जूझ रहे हैं।
यूक्रेन के अधिकारियों ने दावा किया कि शनिवार को रूसी सेना ने मरियुपोल में बमबारी तेज कर दी और वह कीव के उत्तर स्थित चेरनीहीव के रिहायशी इलाकों में शक्तिशाली बम गिरा रही है। युद्ध कितना भीषण है कि रूस के आक्रमण के बाद पड़ोसी देशों में शरण पाने के लिए 15 लाख से अधिक शरणार्थी यूक्रेन छोड़ चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से यूरोप में सबसे तेजी से बढ़ता शरणार्थी संकट है। अकेले पोलैंड में ही अब तक यूक्रेन से 9,22,000 शरणार्थी सीमा पार कर देश में आ चुके हैं।
यूक्रेन के लोग खुद को बचाने पर आमादा हैं। राजधानी कीव में सैकड़ों पुरुष देश की सेना में शामिल होने के लिए कतार में खड़े नजर आ रहे हैं। यूक्रेन की सरकार ने एक आदेश जारी कर 18 से 60 साल के उम्र के पुरुषों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है ताकि सैन्य कार्यों के लिए उनकी उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
उधर, रूस पर कोई असर नहीं दिख रहा है। पुतिन का कहना है कि जब तक यूक्रेन लड़ना बंद नहीं करेगा कोई बात नहीं होगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यूक्रेन का देश का दर्जा खतरे में है। उन्होंने पश्चिमी प्रतिबंधों को रूस के खिलाफ युद्ध की घोषणा करार देते हुए कहा कि कब्जे में आए बंदरगाह शहर मारियुपोल में आतंकी घटनाओं की वजह से संघर्षविराम भंग हुआ।
उन्होंने रूस की अर्थव्यस्था को नुकसान पहुंचाने और उसकी मुद्रा को कमजोर करने के लिए लगाए जा रहे प्रतिबंधों पर पश्चिमी देशों को आड़े हाथ लिया। पुतिन ने लोगों की निकासी के कार्य को बाधित करने के लिए यूक्रेन को जिम्मेदार बताया।