रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन में डोनबास क्षेत्र में एक सैन्य अभियान को मंजूरी दिए जाने के बाद यूक्रेन की राजधानी कीव में एकदम तड़के धमाकों की आवाज सुनी गई। इस युद्ध का असर कच्चे तेल की कीमतों पर देखा जा रहा है। बता दें कि सितंबर 2014 के बाद पहली बार ब्रेंट क्रूड की कीमतें गुरुवार को 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गईं।
गौरतलब है कि यूक्रेन में डोनेट्स्क और लुहान्स्क के अलगाववादी क्षेत्रों में पुतिन की सेना की तैनाती हो चुकी है। बता दें कि दुनिया के दूसरे सबसे बड़े तेल उत्पादक रूस और यूक्रेन के बीच तनाव के बाद इसकी आपूर्ति को लेकर चिंता बनी हुई है। कच्चे तेल का दाम 16 फरवरी को 100.8 प्रति बैरल पर पहुंच गया, जो सितंबर 2014 के बाद का उच्चतम स्तर है।
भारत पर भी असर: ऐसे में दोनों देशों के बीच पैदा हुए गंभीर तनाव का असर भारत में भी देखा जा रहा है। बता दें कि यूक्रेन में सैन्य अभियान की घोषणा के बाद भारतीय रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 55 पैसे गिरकर 75.16 पर आया। युद्ध की स्थिति से इसमें अभी और गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है।
वहीं भारत में महंगाई बढ़ने के भी अनुमान लगाए जा रहे हैं। इस युद्ध के चलते महंगाई का असर दिखने वाला है। भारत अपनी तेल आवश्यकता का 80% से अधिक आयात करता है। लेकिन इसके कुल आयात में तेल आयात का हिस्सा लगभग 25% है। तेल की बढ़ती कीमतें चालू खाते के घाटे को प्रभावित करेंगी। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने से एलपीजी और केरोसिन पर सब्सिडी बढ़ने की भी उम्मीद है, जिससे सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी होगी।
कौन सा देश किस तरफ: रूस और यूक्रेन में छिड़े युद्ध के बीच ये जानना जरूरी है कि कौन से देश किसकी तरफ खड़े हैं। इसमें अमेरिका की स्थिति बेहद साफ है कि वो यूक्रेन के पक्ष में खड़ा है। यहां तक वो यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई भी कर रहा है। वहीं भारत की स्थिति अभी बैलेंस चलने की है।
बता दें कि भारत के लिए रूस हथियारों के मामले में, चीन के मामले में काफी महत्वपूर्ण है। वहीं अमेरिका चाहता है भारत उसे समर्थन करें। ऐसे में भारत अभी रूस और यूक्रेन को संयम से काम लेने की बात कर रहा है।
वहीं ब्रिटेन भी यूक्रेन पर आक्रामक रूख देखते हुए रूस पर प्रतिबंध लगाने की बात कह चुका है। इसके अलावा ब्रिटेन ने रूस के 6 बैंकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं चीन का रूख देखें तो बीते दिनों में उसके अमेरिका से रिश्ते बेहतर नहीं देखे गए हैं तो वहीं रूस से उसकी नजदीकियां पाई गई हैं। फिलहाल चीन अभी इस मामले में बड़ी सावधानी से कदम बढ़ा रहा है।
इस विवाद में फ्रांस ने भी यूक्रेन के समर्थन में हैं और रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की बात कही है। फांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों कह चुके हैं कि रूस ने अगर यूक्रेन पर हमला किया तो उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी। वहीं जर्मनी पहले से ही यूक्रेन के साथ खड़ा है। इस पूरे विवाद में कई देश ऐसे हैं जो शांति की बात कर रहे हैं और किसी एक देश के साथ रहने की नीति से बच रहे हैं।
अब रूस और यूक्रेन की ताकत की बात करें तो रूस यूक्रेन से ताकत में काफी आगे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस यूक्रेन से अधिक ताकतवर है।
यूक्रेन | रूस | |
सैनिक एक्टिव रिजर्व | 1,10,000 200,00 900,000 | 2,90,000 900,000 2,000,000 |
लड़ाकू विमान | 98 | 1,511 |
अटैक हेलीकॉप्टर | 34 | 544 |
टैंक | 2,596 | 12,240 |
बख्तरबंद गाड़ियां | 12,303 | 30,122 |
तोपखाना | 2,040 | 7,571 |
बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की स्थिति गंभीर अवस्था में पहुंचने से मध्य-पूर्व के सभी देशों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। इन देशों में महंगाई का स्तर बढ़ेगा। जिससे यहां तनाव का माहौल पैदा होगा और इससे राजनीतिक अस्थिरता भी आ सकती है।