रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद वहां पर हालात बेहद खराब हो चुके हैं। यूक्रेन के कई शहरों में भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिनको वापस लाया जा रहा है। वहां से लौटने वाले भारतीय छात्रों ने उन मुश्किल हालातों के बारे में बताया, जिनका उन्हें युद्ध-ग्रस्त यूक्रेन में सामना करना पड़ा है। उनके सामने खाने-पीने के सामान की दिक्कतें थीं। वहीं, ठंड में कई-कई किलोमीटर तक उनको पैदल चलना पड़ा।
एमबीबीएस की तीसरी वर्ष की छात्रा मानसी ने एक दिन पहले पश्चिमी यूक्रेन में इवानो-फ्रैंकिवस्क से एक मैसेज के जरिए अपनी मां हर्षा सिंघल को बताया था, “मैं आपको यहां की स्थिति के बारे में नहीं बता सकती। बम से नहीं मरे तो बॉर्डर के हालात हमारी जान ले लेंगे।” भारतीय छात्रा ने आगे कहा, “इवानो में मरना बेहतर होता। भीड़ की वजह से लोगों का दम घुट रहा था,वे गिर पड़े। मुझे कल बॉर्डर पार करना है। एक लड़की के पैर में फ्रैक्चर हो गया।”
बुधवार को मानसी और यूक्रेन में फंसे 210 अन्य भारतीय नागरिक रोमानिया में सीमा पार करने में सफल रहे, जहां से उनको भारत वापस लाया गया। मैसेज दिखाते हुए, हर्षा और उनके पति रमेश रो पड़े और कहा कि उन्हें अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए विदेश जाने देने का अफसोस है।
रमेश दिल्ली एयरपोर्ट पर यूक्रेन से अपनी बेटी के लौटने का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा, “मैंने मानसी के लौटने का टिकट बुक कर रखा था लेकिन तभी बमबारी शुरू हो गई। वह वहां से हमले के वीडियो भेज रही थी। वे लोग वहां से निकलने की कोशिश कर रहे थे, आखिरकार एक बस के जरिए वे लोग रोमानिया पहुंच सके। कड़ाके की ठंड में उनको 15-20 किमी पैदल चलना पड़ा।”
मानसी ने कहा कि उनके कई दोस्त अभी भी रोमानियाई सीमा पर फंसे हुए हैं। मानसी ने वहां के हालात के बारे में बताया, “हम आठ से 10 घंटे तक सीमा के पास लाइनों में खड़े रहे, “खाने के लिए वहां पर कुछ भी नहीं था, पानी तक की बहुत दिक्कत थी। काश हमें युद्ध की स्थिति के बारे में पहले पता होता। जब हम रोमानिया पहुंचे तो बेहतर था। दूतावास के अधिकारियों ने हमारी मदद की।”