Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन ने सऊदी अरब में मंगलवार को हुई बातचीत में ब्लैक सी में जहाजों पर सैन्य हमले नहीं करने पर सहमति जताई है। इस बात की जानकारी व्हाइट हाउस की तरफ से दी गई है। इसी के साथ व्हाइट हाउस ने कहा कि दोनों देश सेफ नेविगेशन, बल प्रयोग को रोकने और ब्लैक सी में सैन्य मकसद के लिए कमर्शियल जहाजों के इस्तेमाल पर रोक लगाने पर राजी हुए। हालांकि, यूक्रेन के अधिकारियों ने वॉर्निंग दी कि रूस वॉरशिप की आवाजाही ब्लैक सी समझौते का उल्लंघन होगी।

व्हाइट हाउस ने कहा कि मॉस्को, कीव और वाशिंगटन ब्लैक सी में यात्रा करने वाले जहाजों की सुरक्षा को लेकर भी सहमत हो गए हैं। रूस ने कहा कि वह यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की पर भरोसा नहीं कर सकता और इसलिए वह काला सागर समझौते पर तभी साइन कर सकता है जब वाशिंगटन उसे इसका सम्मान करने का आदेश जारी करे।

रूसी विदेश मंत्री ने क्या कहा?

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मंगलवार को देश के सरकारी चैनल वन टीवी स्टेशन को बताया कि रियाद में रूसी और अमेरिकी प्रतिनिधिमंडलों ने मुख्य रूप से काला सागर में सुरक्षित शिपिंग के मुद्दों पर चर्चा की थी। काला सागर एक अहम शिपिंग गलियारा है। इस पर रूस और यूक्रेन दोनों के बंदरगाह और तट हैं। लावरोव ने यह भी कहा कि मास्को 2022 के उस समझौते को फिर से शुरू करने के लिए तैयार है, जिसके तहत यूक्रेन को काला सागर के जरिये अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और एशिया के उन देशों में अनाज भेजने की इजाजत दी गई थी, जहां भुखमरी एक बढ़ता हुआ खतरा है।

युद्ध विराम को लेकर रूस ने अमेरिका के सामने रखी शर्तें

यह अभी साफ नहीं है कि मॉस्को की मांग से डील पटरी से उतर सकती है या नहीं। जेलेंस्की ने पहले कहा था कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर शांति की कोशिशों को लेकर भरोसा नहीं किया जा सकता है। यूक्रेनी रक्षा मंत्री रुस्तम उमरोव ने कहा कि कीव ने मेरिटाइम सीजफायर व रूस और यूक्रेन द्वारा एक-दूसरे के एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमलों पर रोक लगाने पर सहमति जाहिर की है।

डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता ने किया कमाल

इस समझौते के पीछे अगर किसी का कमाल बताया जा रहा है तो वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का है। ट्रंप ने हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर बात की थी और दोनों को इस युद्धविराम के लिए मना लिया था। हालांकि, इस सीजफायर के लागू करने और उसकी निगरानी करने के तरीके अभी तक कुछ साफ नहीं हुए हैं। अमेरिका चला शांति की राह