बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 39 लोगों की मौत हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक गुरुवार का दिन सबसे हिंसक दिन रहा। राजधानी ढाका सहित पूरे देश में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। इसकी बड़ी वजह छात्रों का ट्रेन और बसें रोकना था।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाई जिससे सैकड़ों लोग घायल हो गए, जिन्होंने वाहनों, पुलिस चौकियों और अन्य प्रतिष्ठानों में आग लगा दी। यह प्रदर्शन बांग्लादेश हाईकोर्ट द्वारा 5 जून को दिए गए आरक्षण की बहाली के फैसले के बाद शुरू हुआ था, जब छात्रों ने बांग्लादेश बंद का ऐलान किया था।
क्या नई जानकारी है?
गुरुवार को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद शुक्रवार को बांग्लादेश के ढाका में सड़कें सुनसान दिखीं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को बांग्लादेश के टीवी समाचार चैनल प्रसारित नहीं हो रहे हैं। शुक्रवार को बांग्लादेश में कम्युनिकेशन सेवाएं पूरी तरह बाधित रहीं। सरकार ने इंटरनेट पर कुछ वक़्त के लिए रोक लगा दी है। मोबाइल सेवा पर भी रोक लगाए जाने की जानकारी सामने आ रही है।
गुरुवार को छात्र प्रदर्शनकारियों ने सरकारी कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की इमारत में आग लगा दी। कई पुलिस चौकियों, वाहनों और अन्य प्रतिष्ठानों में भी आग लगा दी गई। छात्रों ने कई अवामी लीग अधिकारियों पर भी हमला किया।
5 जून, 2024 को बांग्लादेश की अदालत ने सभी आरक्षणों, विशेष तौर पर विवादास्पद 30 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानियों के कोटे को निरस्त करने वाले 2018 के आदेश को पलटने का आदेश दिया। शुरुआत में छोटे-मोटे प्रदर्शन हुए और 7 जुलाई को बंगलादेश बंद का ऐलान किया गया। लोग सड़कों पर आ गए और बहाली का विरोध करने लगे। देखते ही देखते यह विरोध इतना बढ़ गया कि 39 लोगों की मौत हो गई।
इस बीच, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांति की अपील की और छात्रों को आश्वासन दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश नहीं होंगे। राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने यह भी घोषणा की कि न्यायिक जांच की जाएगी और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।