आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट विस्‍फोटक बनाने में जिन चीजों का इस्‍तेमाल करता है, उनकी सप्‍लाई से 20 देशों की कंपनियां जुड़ी हुई है। एक स्‍टडी में गुरुवार को यह बताया गया है। इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकारों और कंपनियों को केबल, केमिकल्‍स और दूसरे उपकरणों की खरीद फरोख्‍त और निर्यात पर बेहतर ढंग से नजर रखनी चाहिए।

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यूरोपियन यूनियन से जुड़ी इस स्‍टडी के मुताबिक, तुर्की, ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों की 51 कंपनियां ऐसे 700 अव्‍यव बनाती बेचती या हासिल करती हैं, जिनका इस्‍तेमाल इस्‍लामिक स्‍टेट के आतंकियों द्वारा आईईडी (इम्‍प्रोवाइज्‍ड एक्‍सप्‍लोसिव डिवाइसेज) बनाने में किया जाता है। कॉन्‍फ्ल‍िक्‍ट आर्मामेंट रिसर्च (CAR) ने 20 महीने में यह स्‍टडी की है। इसके मुताबिक, आतंकी संगठन आईईडी का औद्योगिक पैमाने पर उत्‍पादन कर रहे हैं। ऐसा करने के लिए वे नियंत्रित तरीके से खरीद-फरोख्‍त के दायरे में आने वाली चीजों के अलावा बेहद सामान्‍य अव्‍यव मसलन रासायनिक खाद और मोबाइल फोन्‍स का इस्‍तेमाल कर रहे हैं।

बता दें कि आईएस ने इराक और सीरिया के बड़े भूभाग पर कब्‍जा कर रखा है। इन दोनों ही देशों से नाटो के सदस्‍य तुर्की की सीमाएं सटी हुई हैं। हथियारों और आतंकियों की आवाजाही के बढ़ते खतरे के मद्देनजर तुर्की ने अपनी सीमाओं की सुरक्षा बढ़ा दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, आईएस के विस्‍फोटकों को बनाने वाली चीजों के सप्‍लाई चेन में तुर्की की कम से कम 13 कंपनियां जुड़ी हुई हैं। इसके बाद, भारत का नंबर आता है। यहां की सात कंपनियों के सामान का इस्‍तेमाल आईएस आतंकी विस्‍फोटक बनाने में करते हैं। जांच में पता चला कि इन सात भारतीय कंपनियों ने आतंकियों द्वारा इस्‍तेमाल किए जाने वाले अधिकतर डेटोनेटर्स, डेटोनेटिंग कॉर्ड, सेफ्टी फ्यूज आदि बनाए थे। इन चीजों को कानूनी ढंग से सरकारी लाइसेंस के तहत भारत से लेबनान और तुर्की की कंपनियों को निर्यात किया गया। ब्राजील, रोमानिया, रूस, नीदरलैंड्स, चीन, स्विट्जरलैंड, ऑस्‍ट्रिया और चेक रिपब्‍ल‍िक जैसे देश भी आईएस की सप्‍लाई चेन से जुड़े हुए हैं।

सीएआर के एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर जेम्‍स बेवेन का कहना है, ”इन निष्‍कर्षों से इस विचार को समर्थन मिलता है कि अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर यह जागरूकता फैलाई जाए कि इराक और सीरिया में आईएस के आतंकियों को हथियार और इससे जुड़े सामान बेहद आसानी से उपलब्‍ध हो रहे हैं।” आईएस जिन चीजों का इस्‍तेमाल विस्‍फोटक बनाने में कर रहा है, वे बेहद सस्‍ती और आसानी से उपलब्‍ध होने वाली हैं। इनमें से कई को एक्‍सपोर्ट करने के लिए सरकारी लाइसेंस की भी जरूरत नहीं है। इन पर शायद ही नजर रखी जाती हो या किसी तरह के नियंत्रण की कोशिश की जाती है। स्‍टडी में पता चला कि इन चीजों की सप्‍लाई कानूनी तौर पर आतंकियों के इलाके में मौजूद कंपनियों तक पहुंचने के बाद एक महीने से भी कम वक्‍त में ही उन्‍हें मिल जाता है। इसकी वजह यह भी है कि सप्‍लाई चेन पर पर्याप्‍त नजर नहीं रखी जा रही। बेवेन के मुताबिक, कंपनियों को एक प्रभावशाली अकाउंटिंग सिस्‍टम बनाया जाना चाहिए, जिसमें यह नजर रखी जा सके कि उनका सामान जाता कहां है। आतंकियों की सप्‍लाई रोकने में यह कदम प्रभावशाली साबित हो सकता है। आईएस आतंकियों द्वारा इस्‍तेमाल बमों के अव्‍यवों का अध्‍ययन करने के लिए इराक के राबिया, किर्कुक, मोसुल, तिकरित जबकि सीरियाई शहर कोबान से सैंपल जुटाए गए।