धार्मिक स्वतंत्रता को सबसे ज्यादा समर्थन देने वाले देशों में भारत शीर्ष पर है जहां प्रत्येक दस भारतीयों में से आठ का मानना है कि अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता बेहद महत्त्वपूर्ण है। 38 देशों का सर्वे और 40, 786 लोगों का साक्षात्कार करने वाले अमेरिका स्थित थिंक टैंक प्यू रिसर्च ने पाया कि भारत में लैंगिक समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए काफी समर्थन है। सर्वेक्षण का यह काम पांच अप्रैल से 21 मई 2015 के बीच किया गया। वैश्विक 74 फीसद के मुकाबले 83 फीसद भारतीयों का मानना है कि अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता बेहद महत्त्वपूर्ण है।

कुल मिला कर दुनिया भर की आबादी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों को छोड़ कर मीडिया पर सरकारी सेंसरशिप के खिलाफ र्है लेकिन भारत में 72 फीसद लोगों का कहना है कि मीडिया संगठनों को देश में बड़े राजनीतिक प्रदर्शनों की सूचना प्रकाशित करने में सक्षम होना चाहिए।

सर्वेक्षण के दायरे में आए सभी देशों के मुकाबले भारत में इंटरनेट स्वतंत्रता के प्रति समर्थन सबसे कम यानी 38 फीसद है। सर्वे के दायरे में लोकतांत्रिक अधिकारों के पैमानों में इंटरनेट स्वतंत्रता सबसे निचले पायदान पर थी लेकिन 38 में से 32 देशों में लोगों का कहना है कि एक ऐसे देश में रहना महत्त्वपूर्ण है जहां जनता बिना सरकारी सेंसरशिप के इंटरनेट का इस्तेमाल कर सके।

वैश्विक स्तर पर 65 फीसद लोगों का मानना है कि महिलाओं के पास पुरुषों के समान अधिकार होना बेहद अहम है लेकिन भारत में ऐसा मानने वालों की संख्या 71 फीसद है। महिलाओं के लिए समान अधिकारों के मुद्दे पर सर्वेक्षण के दायरे में आने वाले देशों में पुरूषों और महिलाओं के बीच तीखे मतभेद हैं। 24 देशों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का यह मानना था कि महिलाओं के लिए समान अधिकार होना बेहद महत्त्वपूर्ण है।

प्यू ने कहा, ‘लेकिन भारत में इस सवाल पर लैंगिक भेद नहीं है।’ भारत में 49 फीसद का मानना है कि कम से कम दो राजनीतिक दलों की पसंद के साथ एक ईमानदार और प्रतिस्पर्धात्मक चुनाव होना बेहद जरूरी है।