अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि चार देशों की सदस्यता वाले ‘क्वाड’ समूह के नेताओं के पहले डिजिटल शिखर सम्मेलन में सब अच्छा रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बाइडेन, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने शुक्रवार को हुई इस चतुष्पदीय सुरक्षा वार्ता में भाग लिया था।

बाइडेन ने क्वाड शिखर सम्मेलन पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए रविवार को संवाददाताओं से कहा, ‘इसमें सब बहुत अच्छा रहा। ऐसा लगता है कि सभी को यह अच्छा समझौता लगा।’ बाइडेन ने शिखर सम्मेलन में चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा था कि एक ‘मुक्त और खुला’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र आवश्यक है। उन्होंने कहा था कि अमेरिका स्थिरता की स्थिति हासिल करने के वास्ते क्षेत्र में अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

बाइडेन ने कहा था कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिए ‘क्वाड’ महत्त्वपूर्ण मंच बनने जा रहा है और सहयोग बढ़ाने में यह एक नया तंत्र बनकर उभरा है। बाइडेन ने परोक्ष तौर पर चीन की ओर इशारा करते हुए कहा था, ‘हम अपनी प्रतिबद्धताओं को जानते हैं। हमारा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा संचालित है, हम सभी सार्वभौमिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है और दबाव से मुक्त हैं।

मैं हमारी संभावनाओं के बारे में आशावादी हूं।’ चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है, लेकिन वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान भी इस पर अपना दावा करते हैं। पूर्वी चीन सागर में दावे को लेकर चीन और जापान के बीच विवाद है।

‘क्वाड’ के नेताओं ने शिखर सम्मेलन के बाद ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ में छपे लेख में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहे चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए इस बात पर पुन: जोर दिया कि वे यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि यह क्षेत्र सभी के लिए सुगम हो और नौवहन की स्वतंत्रता व विवादों के शांतिपूर्ण समाधान जैसे मूल सिद्धांतों व अंतराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इसका संचालन हो। उन्होंने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई को लेकर प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि यह हाल के इतिहास में स्वास्थ्य व आर्थिक स्थिरता को सबसे बड़ा खतरा है और क्वाड देशों को इससे निपटने को एकसाथ काम करना होगा।