चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट पर फिर से सवाल खड़ा हुआ है। इस बार इटली ने समझौते में शामिल होने पर अफसोस जताया है। इटली का कहना है कि चीन के साथ BRI में शामिल होने के बाद उसे कुछ भी हासिल नहीं हो सका है। जबकि चीन की बात करें तो वो खासे फायदे में है। समझौते के बाद चीन का इटली को होने वाला एक्सपोर्ट कई गुना बढ़ गया। जबकि इटली के केस में ऐसा नहीं हो सका।
खास बात है कि BRI में इटली का शामिल होना चीन के लिए खासा फायदेमंद रहा, क्योंकि पश्चिमी देशों में से केवल इटली ही चीन के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में शामिल हुआ था। इससे चीन को खासा फायदा हुआ, क्योंकि संदेश गया कि पश्चिमी देशों में से भी उसकी इस योजना को अच्छी निगाह से देख रहे हैं।
BRI में इटली के शामिल होने से चीन को बड़ा फायदा
BRI के तहत चीन ने योजना तैयार की थी कि एशिया के साथ यूरोप के देशों से भी सड़क मार्ग के जरिये उसकी कनेक्टिविटी रहे। इस प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने के लिए उसने अच्छी खासी रकम भी निवेश की है। चीन के लिए ये फायदे का सौदा इस वजह से भी है क्योंकि इससे कारोबार के साथ उसे राजनीतिक लाभ भी मिल रहा है। एशिया के साथ वो यूरोप की राजनीति में भी दखल देने की स्थिति में है।
इटली के रक्षा मंत्री गाइडो क्रॉसेटो का कहना है कि चार साल पहले जब वो इस प्रोजोक्ट में शामिल हुए तो उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि ये केवल एक पक्ष को लाभ देने वाला साबित होगा। प्रोजेक्ट में शामिल होने के बाद इटली के एक्सपोर्ट में मामूली उछाल देखा गया। जबकि चीन का एक्सपोर्ट कई गुना बढ़ गया। खास बात है कि गाइडो उस टीम के सदस्य हैं जो इस प्रोजेक्ट से बाहर निकलने के रास्ते पर विचार कर रही है।
बाइडन से मिलने के बाद इटली की PM बोलीं- जाएंगी चीन
उधर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात के बाद इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा कि उनकी सरकार दिसंबर तक BRI को लेकर कोई फैसला ले लेगी। उनका कहना था कि वो जल्द ही चीन की यात्रा पर जाने वाली हैं। उनका कहना था कि वो देख रही हैं कि इटली इस प्रोजेक्ट से बाहर निकलने के बाद भी चीन का दोस्त बना रहे। दोनों देशों के रिश्तों में ये प्रोजेक्ट कोई प्रतिकूल असर न डाले।