रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर लगभग एक घंटे तक बातचीत हुई। इस वार्ता में जहां पुतिन ने युद्ध को बातचीत के जरिए समाप्त करने की इच्छा जताई, वहीं ट्रंप ने यूक्रेन में जारी संघर्ष को लेकर अपनी नाराजगी ज़ाहिर की। ट्रंप ने कहा कि वह यूक्रेन में चल रही सैन्य गतिविधियों से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हमारी लंबी बातचीत हुई, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई—जिनमें ईरान और यूक्रेन युद्ध प्रमुख थे। लेकिन मैं इस स्थिति से खुश नहीं हूं। अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।”

दोनों नेताओं के बीच हुई इस बातचीत ने एक बार फिर रूस की असल मंशा को उजागर कर दिया है। अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, पुतिन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मॉस्को अपने “मूल लक्ष्यों” से पीछे नहीं हटेगा और यूक्रेन संकट को उसी मार्ग से सुलझाना चाहेगा, जिससे रूस अपने रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा कर सके।

क्रेमलिन का दावा- रूस पीछे नहीं हटेगा

क्रेमलिन के वरिष्ठ सहयोगी यूरी उशाकोव ने ट्रंप के साथ इस बातचीत का सार बताते हुए कहा, “रूस पीछे नहीं हटेगा। पुतिन ने ट्रंप को यह भी बताया कि रूस संघर्ष का राजनीतिक और बातचीत से समाधान चाहता है, लेकिन इसके लिए पहले उन कारणों को खत्म करना जरूरी है जिनसे ये युद्ध शुरू हुआ।”

रूस की दलील है कि यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की कोशिशें इस संघर्ष की जड़ हैं। पुतिन का मानना है कि पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका की कोशिश रही है कि यूक्रेन को अपने सैन्य गठबंधन में शामिल कर रूस की सीमाओं के पास दबाव बनाया जाए। इसी दबाव को रोकने के लिए रूस ने 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण सैन्य आक्रमण किया।

यह फोन कॉल ऐसे समय हुआ, जब अमेरिका ने यूक्रेन को वायु रक्षा मिसाइलें और सटीक निशाना साधने वाली तोपों की डिलीवरी को एक दिन पहले ही रोक दिया था। इसने युद्ध के माहौल में एक नया राजनीतिक संकेत दे दिया है।

उधर, रूसी कब्जे वाले लुहांस्क क्षेत्र के गवर्नर लियोनिद पासेचनिक ने दावा किया कि “लुहांस्क पीपल्स रिपब्लिक” का पूरा क्षेत्र अब रूस के नियंत्रण में है, और यह उन चार यूक्रेनी क्षेत्रों में पहला है जिस पर रूस ने पूर्ण कब्ज़ा कर लिया है।

पुतिन ने हाल ही में एक सम्मेलन में यह भी कहा कि रूस यूक्रेन से बिना शर्त आत्मसमर्पण की मांग नहीं कर रहा, बल्कि वो चाहता है कि जमीनी हकीकत को स्वीकार किया जाए। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि रूस और यूक्रेनी लोग “एक ही लोग” हैं और पूरे यूक्रेन को ‘अपना’ मानते हैं, हालांकि यह भी जोड़ा कि मॉस्को यूक्रेन की स्वतंत्रता को औपचारिक रूप से नकारता नहीं।

इस बातचीत से यह स्पष्ट है कि रूस सार्वजनिक रूप से शांति की बात तो कर रहा है, लेकिन रणनीतिक तौर पर वह न तो पीछे हटने को तैयार है और न ही यूक्रेन को पश्चिमी प्रभाव में जाने देना चाहता है। अब यह देखना होगा कि अमेरिका और पश्चिमी देश इस रुख का जवाब किस तरह देते हैं।