Nepal Next PM: नेपाल (Nepal) की राजनीति में रविवार को नाटकीय मोड़ पर आ गया। अब 6 पार्टियों के समर्थन के साथ पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ (Pushpa Kamal Dahal Prachand) नेपाल के अगले प्रधानमंत्री (Nepal Next PM) होंगे। यहां हाल ही में हुए आम चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था। राष्ट्रपति के बुलावे पर कई बड़े सियासी दल गठबंधन को लेकर विचार-विमर्श कर रहे थे। प्रचंड की अगुवाई में हुई दलों की बैठक के बाद शाम 4 बजे बताया गया कि प्रचंड नेपाल के अगले पीएम होंगे।

Nepal President ने दहल को नया पीएम नियुक्त किया

नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से भी इस संबंध में पत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया कि प्रचंड को नेपाल के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त किया जा रहा है। प्रचंड सोमवार शाम को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।

पीएम मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के पीएम बनने के लिए पुष्प कमल दहल को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि नेपाल का प्रधानमंत्री चुने जाने के लिए उन्हें हार्दिक बधाई। उन्होंने आगे कहा, “भारत और नेपाल के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंध हैं। हम दोस्ती को और मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।

केपी शर्मा ओली के घर पर हुई थी मीटिंग

सीपीएन-एमसी देब के महासचिव गुरुंग ने कहा कि एक समझौता पत्र तैयार किया जा रहा है, जो राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आवास पर यह बैठक हुई। इसमें ओली, प्रचंड, आरएसपी अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन, जनता समन्वयवादी पार्टी के अध्यक्ष अशोक राय सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।

ढाई-ढाई साल के रोटेशन पर प्रचंड और ओली को पीएम बनाने पर बनी सहमति

मीटिंग में रोटेशन के आधार पर प्रचंड और ओली को प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति बनी। ढाई साल के लिए प्रचंड पीएम होंगे और उसके बाद ढाई साल के लिए ओली प्रधानमंत्री बनेंगे। ओली अपनी मांग के अनुसार प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर सहमत हुए। नए गठबंधन को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 165 सांसदों का समर्थन हासिल हुआ है।

इससे पहले दोपहर में पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने सत्ताधारी माओइस्ट सेंटर को समर्थन देने से इनकार कर दिया था और उन्होंने गठबंधन भी छोड़ दिया था। मीडिया में नेपाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडेल के हवाले से यह बात सामने आई थी। वहीं, प्रचंड चाहते थे कि दोनों ही पार्टियां ढाई-ढाई साल के लिए सरकार चलाएं। हालांकि, दूसरी पार्टी की मांग अलग थी।