ने पई ताव। व्यापार और लोगों के बीच आदान प्रदान को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय संपर्क में सुधार करने और आसियान समूह के 10 देशों के साथ संवाद बढ़ाने की मजबूत जमीन तैयार करने की उम्मीद लेकर यहां आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल से यहां शुरू हो रहे 12वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
प्रधानमंत्री एयर इंडिया के विशेष विमान से आज दोपहर तीन देशों की अपनी 10 दिवसीय यात्रा के पहले चरण में म्यांमार की राजधानी पहुंचे। अपनी इस यात्रा के दौरान वह जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने ऑस्ट्रेलिया जाएंगे और इस दौरान आस्ट्रेलिया के अपने समकक्ष टोनी एबट और फिजी के प्रधानमंत्री जे वी बेनीमारामा से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे।
ने पई ताव अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर म्यांमार के स्वास्थ्य मंत्री थान औंग ने मोदी की अगवानी की। यहां पहुंचने के बाद मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘ने पई ताव, म्यांमार पहुंचे, गर्मजोशी से हुए स्वागत के बीच इस खूबसूरत देश में आना शानदार रहा।’’
म्यामांर में प्रधानमंत्री भारत-आसियान और पूर्वी एशिया शिखर बैठकों में शिरकत करेंगे। इस बात पर जोर देते हुए कि एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) भारत की ‘‘एक्ट ईस्ट’’ नीति के मूल में है प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार के लिए रवाना होने से पहले कहा था कि वह आसियान नेताओं के साथ इस बारे में बात करने को लेकर आशान्वित हैं कि ‘‘हमारे रिश्तों को नये स्तर तक कैसे ले जाया जाए, जो प्रत्येक सदस्य के साथ हमारे गहराते द्विपक्षीय रिश्तों के लिए पूरक का काम करेगा।’’
आसियान के साथ संबंधों की जड़ें मजबूत होने पर जोर देते हुए मोदी ने कहा, ‘‘आसियान हमारी एक्ट ईस्ट नीति के मूल में है और एक एशियाई शताब्दी के हमारे सपने के केंद्र में है, जहां सहयोग और एकीकीरण साफ तौर पर नजर आएंगे।’’
मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि आसियान और पूर्वी एशियाई देशों के नेताओं के साथ उनकी बातचीत सार्थक होंगी।
भारतीय अधिकारियों ने बताया कि भारत इस बात का इच्छुक है कि 2016 से शुरू होने वाली अगली आसियान-भारत पंच वर्षीय योजना में जनता से जनता के बीच संपर्क बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। इस दौरान सामरिक और राजनीतिक संपर्क पर जोर देने के साथ ही व्यापार को बढ़ावा देने के भी उपाय हों। योजना में क्षेत्र के सुरक्षा ढांचे पर भी ध्यान दिया जाएगा।
भारत-म्यांमार और थाईलैंड को जोड़ने वाला 3,200 किलोमीटर का राजमार्ग विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना निर्माणाधीन है। इसे शुरू में 2017 तक पूरा करने पर जोर दिया जा रहा था, लेकिन यह अपने निर्धारित लक्ष्य से पीछे है और अब इसके 2018 तक पूरा होने की उम्मीद है।
भारत और दस देशों का आसियान समूह इस राजमार्ग के जरिए अपनी संपर्क योजनाओं को आकार देने की उम्मीद लगाए है।
अधिकारियों ने बताया कि भारत और आसियान के बीच सेवा और निवेश में मुक्त व्यापार समझौता होने की उम्मीद है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार के वर्ष 2015 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने में मदद मिलने की आशा है।
द्विपक्षीय व्यापार 2011 में 68.4 अरब अमेरिकी डॉलर से 2012 में 71.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया। आसियान देशों को 43.84 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के सामान का निर्यात किया गया, जबकि भारत को हुआ आयात 2012 में 27.72 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
आसियान समुदाय दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या है, जिसके इस शताब्दी में दुनिया में सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और तीसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है।
आसियान में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलिपीन और वियतनाम हैं।
मोदी जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को ब्रिस्बेन रवाना होने से पहले 18 देशों के ईस्ट एशियन शिखर सम्मेलन में भी शिरकत करेगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा था, ‘‘पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में मैं आसियान और सात वैश्विक नेताओं के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करने को उत्सुक हूं कि हम शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए किस तरह से क्षेत्रीय संस्थानों, अन्तरराष्ट्रीय मानकों और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत कर सकते हैं।’’
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन समूह में 10 आसियान देशों के साथ ही ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, रूस और अमेरिका शामिल हैं।
म्यांमार में अन्तरराष्ट्रीय शिखर बैठकों से इतर मोदी मेजबान देश के राष्ट्रपति थीन सीन के अलावा रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पार्क गेयून हये और सिंगापुर के राष्ट्रपति टोनी टान से भी मुलाकात करेंगे।