प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर उसकी पूरब की ओर देखों यानी ‘लुक ईस्ट’ नीति पर चुटकी लेते हुए कहा कि हमने इसे बहुत देख लिया और अब वक्त है पूरब पर काम करने यानी ‘एक्ट ईस्ट’ का।

चीन और मंगोलिया के बाद दक्षिण कोरिया पहुंचे मोदी ने वहां की राजधानी सोल में क्यूंग ही विश्वविद्यालय में भारतीय समुदाय द्वारा उनके स्वागत में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘पूर्व में नीति थी ‘पूरब की ओर देखो। हमने पूरब की ओर बहुत देख लिया। अब हमें एक्ट ईस्ट पॉलिसी यानी पूरब पर काम करना है। यह मेरी सरकार की विदेश नीति का प्रमुख तत्व है।’’

उल्लेखनीय है कि 90 के दशक में तत्कालीन नरसिम्ह राव सरकार ने ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ की सबसे पहले अवधारणा पेश की थी और उसके बाद से सभी सरकारें उसका अनुसरण करती आई हैं।

मोदी ने आर्थिक विशेषज्ञों का हवाला देते हुए कहा कि पांच सदस्यीय ब्रिक्स समूह में भारत पिछले वर्ष तक जद्दोजहद कर रहा था लेकिन पिछले साल (जब मोदी सरकार सत्ता में आई) हालात बदल गए।

उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले एक वर्ष में दुनिया अब कह रही है कि आई (इंडिया) ब्रिक्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस समूह की ‘आई’ के बिना कल्पना नहीं की जा सकती है।’’

मेक इन इंडिया की पुरजोर वकालत करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘मेक इन इंडिया के लिए पूरे विश्व को निमंत्रित कर रहा हूं। दुनिया भर के युवाओं के पास अवसर हैं।’’

मोदी ने कहा कि वह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए भारत को विनिर्माण केंद्र बनना चाहते हैं। उन्होंने विदेशों में बसे भारतीयों को स्वदेश लौटने और देश में निवेश करने का निमंत्रण देते हुए कहा कि पिछले एक साल में भारत के बारे में लोगों का मूड और धारणा बदल चुकी है।

 

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चीन और मंगोलिया दौरे के बाद सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण कोरिया के दो दिवसीय दौरे पर पहुंच गए। (फोटो स्रोत: पीएमओ ट्विटर)

उल्लेखनीय है कि मोदी ने चीन यात्रा के दौरान शंघाई में इसी तरह के भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित एक स्वागत समारोह में उनकी विदेश यात्राओं को लेकर विपक्ष की आलोचनाओं पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि अथक काम करने के लिए उनकी आलोचना की जाती है और साथ ही कहा था कि अगर अथक काम करना ‘अपराध’ है तब वह ऐसा करना जारी रखेंगे।

इससे पूर्व जर्मनी, फ्रांस और कनाडा की यात्राओं के दौरान भी मोदी द्वारा पूर्ववर्ती सरकारों पर प्रहार करने को लेकर विपक्ष द्वारा उनकी आलोचना की गई थी। इसके जवाब में उन्होंने कहा था, ‘‘ लोग पूछते हैं कि मोदी इतने सारे देशों की यात्रा क्यों कर रहे हैं। अगर आप कम काम करें, तो आलोचना सामान्य बात है। अगर आप सोते रहे, तब भी आलोचना सामान्य है। लेकिन मेरा यह दुर्भाग्य है कि मेरी आलोचना इसलिए हो रही है कि मैं अधिक काम करता हूं।’’

मोदी ने आज कहा, ‘‘दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी को भारत आना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज लोग भारत आने को लेकर काफी उत्साहित हैं। यह मूड में बदलाव का प्रतीक है। अखिर यह जनता ही है जो एक राष्ट्र का निर्माण करती है।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘ विकास का रास्ता कठिन है पर मैं मक्खन नहीं, पत्थर पर लकीर खींचना जानता हूं। मैं विकास नाम की जड़ी बूटी लेकर चल पड़ा हूं और इससे देश का मूड बदल रहा है। भारत ने समस्या का हल खोज लिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ एक समय ऐसा था जब लोगों ने भारत यह कह कर छोड़ा कि वहां कुछ खास नहीं है। ये लोग अब वापस आने को तैयार हैं। मूड बदल चुका है।’’

उन्होंने कहा कि भारत को अब विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जा रहा है। मोदी ने भारतीय समुदाय से कहा, ‘‘आपके अनुभव भारत की प्रगति के लिए अपरिहार्य हैं।’’ भारतीय समुदाय को उन्होंने विदेशी धरती पर देश के इतिहास और संस्कृति का वास्तविक राजदूत बताया।

भारत और कोरिया के पुराने रिश्तों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कोरिया के प्रख्यात राजा सूरो का जिक्र किया जिनके बारे में समझा जाता है कि इनका कई शताब्दी पहले अयोध्या की राजकुमारी से विवाह हुआ था। उन्होंने कहा कि भारत-कोरिया के बीच इस जुड़ाव का यहां के लोगों में गर्व है।

मोदी ने कहा कि टैगोर कोरिया को ‘पूरब का दीपक’ कहा करते थे। पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध बनाने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि मानवीय मूल्य और मानवता विदेश नीति का मुख्य बिन्दु होना चाहिए और कहा कि मनवतावाद के आधार पर ही उनकी सरकार दक्षेस देशों से जुड़ी है।

उन्होंने कहा कि हम मानवता को कें्रद में रख कर चल रहे हैं। श्रीलंका में पांच मछुआरों को सजा हुई लेकिन भारत ने मानवता के संबंधों को उठाया और मछुआरों को वापस लाया गया। मालदीव में पीने के पानी का संकट हुआ। हमने उन्हें पानी भेजा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले महीने नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के समय भारत अपने पड़ोसी देश के साथ मजबूती से खड़ा रहा और सैकड़ों लोगों को बचाया जिनमें 50 अन्य देशों के लोग भी शामिल हैं।