ब्रिटेन में 50 पॉन्ड के नोट पर नूर इनायत खान की तस्वीर लगाई जाएगी। नूर इनायत खान एक राजकुमारी थीं। नूर इनायत खान के पिता एक सूफी गायक और लेखक थे। वो पियानो भी अच्छा बजाते थे। कहा जाता है कि नूर इनायत खान सन् 1943 में ब्रिटिश मिलिट्री इंजेलिजेंस में कार्यरत थीं। हाल ही में उनकी तस्वीर 50 पॉन्ड के नोट पर लगाने को लेकर विवाद भी हुआ था। लेकिन अब यह तय हो चुका है कि उनकी तस्वीर इस नोट पर छापी जाएगी।

कौन थीं नूर इनायत खान?
नूर इनायत खान की पहचान एक जिम्मेदार जासूस के तौर पर है। नूर इनायत खान का जन्म साल 1914 में मास्को के क्रेमलिन में हुआ था। उस वक्त खान के वाल्दीन रूस की राजशाही परिवार की मेहमान थे। खान की माताजी अमेरिका की थी जबकि पिताजी टीपू सुल्तान के वंसज और भारतीय थे।सन् 1939 में युद्ध का ऐलान होने के बाद 25 साल की नूर और उनका परिवार इंग्लैंड में शिफ्ट हो गया। साल 1940 में उन्होंने Women’s Auxiliary Air Force ज्वाइन कर लिया और रेडियो ऑपरेटर बन गईं। नूर इनायत खान की फ्रेंच भाषा पर पकड़ काफी अच्छी थी। जिसकी वजह से उन्हें पेरिस में Special Operations Executive ज्वाइन करने का मौका मिला। दरअसल यह एक सीक्रेट ब्रिटिश ऑर्गनाइजेशन था जिसके गठन का उद्देश्य था उन शत्रुओं के बारे में पता लगाना जो ब्रिटेन को क्षति पहुंचाना चाहते हैं। सुरभि बासु ने नूर इनायत खान की बायोग्राफी में लिखा है कि उन्होंने हथियार चलाने और Morse Code को अनुवाद करने की कड़ी ट्रेनिंग ली थी। लेकिन इंटेलिजेंस नेटवर्क में उनके साथ काम करने वाले लोगों को उनपर शक था। कुछ लोगों को शक था कि वो अभी युवा हैं और उनमें तजुर्बें की कमी है तो कहीं ऐसा ना हो कि उनके बारे में एक दिन खुलासा हो जाए।

कर्नल फ्रैंक स्पूनर ने नूर खान के बारे में लिखा कि उनका व्यक्तित्व काफी अस्थिर था। हालांकि रेडियो में उनके पास बेहतरीन स्किल था। जून 1943 में उन्हें फ्रांस भेजा गया था। वहां उन्होंने अपना नाम जेनी मैरी रेनियर रख लिया था। यहां उनकी पहचान बच्चों के नर्स के तौर पर थी। उनका कोड नाम मेडिलाइन था। उनके फ्रांस पहुंचने के 10 दिनों बाद खान के नेटवर्क के सभी ब्रिटिश अधिकारी पकड़े गए। अधिकारी उस वक्त यह चाहते थें कि वो जल्द से जल्द ब्रिटेन वापस आ जाएं लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंन उस वक्त कहा था कि वो कोशिश करेंगी कि वो फिर से अपने बूते अपना नेटवर्क खड़ा करें।

बासु ने अपने द्वारा लिखी गई बायोग्राफी Spy Princess The Life of Noor Inayat Khan में लिखा कि इस दौरान उन्होंने पेरिस में कड़ी मेहनत की। अपनी पहचान छिपाने के लिए वो बार-बार अपने बालों को रंग लेती थी। उन्होंने अपने पुराने परिचितों से संपर्क किया और उनसे पूछा कि क्या वो उनके घर का इस्तेमाल कर सकती हैं अपने वायरलेस सेट के जरिए सूचनाएं लंदन भेजने के लिए?

युद्ध के दौरान उन्होंने अच्छा काम किया। उन्होंने लड़ाकूओं को जरूरी सूचनाएं दीं। अपनी बहादुरी और सेवा के लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया। नूर इनायत खान के पिता का नाम इनायत खान था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उनका परिवार पहले पेरिस गया और फिर बाद में लंदन चला गया। साल 1920 में उनका परिवार एक बार फिर वापस पेरिस आ गया। माता-पिता के देहांत के बाद नूर ने ही अपने परिवार को संभाला। जब 1943 में वो इंग्लैंड छोड़ने वाली थीं तब उन्हें पकड़ लिया गया।

नूर इनायत खान की मूर्ति (फेसबुक,@NoorInayatKhanMemorialTrust)

उन्हें जर्मनी के फ्रॉजिम जेल में भेजा गया। बाद में 12 सितंबर 1944 को उन्हें डाचू कैंप में भेज दिया गया। जहां उन्हें काफी प्रताड़ित किया गया। 30 साल के उम्र में उनकी हत्या कर दी गई। अपने अंतिम शब्दों में खान ने जर्मन भाषा में स्वतंत्रता बोला था। अब नूर खान इंग्लैंड के 50 पॉन्ड के नोट पर नजर आएंगी। उनपर डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी हैं। लंदन के गॉर्डेन स्क्वायर जहां नूर इनायत खान रह चुकी हैं वहां एक कोने में उनका स्टैच्यू भी है।