ईरान के उदारवादी राष्ट्रपति मोहम्मद हसन रूहानी ने अंतिम चुनाव परिणामों में अपने सहयोगियों को महत्त्वपूर्ण लाभ मिलने के बाद मंगलवार को कहा कि देश के मतदाताओं ने देश के लिए सही और उचित रास्ता चुना। शुक्रवार को संसद और शीर्ष धार्मिक समिति, विशेषज्ञ सभा के लिए हुए दोहरे चुनाव विश्व शक्तियों के साथ ईरान के परमाणु समझौते के बाद राष्ट्रपति के लिए महत्त्वपूर्ण थे और असल में यह उनके प्रशासन पर जनमत संग्रह था। संसदीय चुनाव में कट्टरपंथियों को सुधारवादियों से जबर्दस्त हार मिली। कंजर्वेटिवों ने भी सीटें खोई हैं।

कट्टरपंथियों ने पश्चिम के प्रति रूहानी की कूटनीति और विदेशी निवेश के लिए ईरान के द्वार खोलने के उनके कदम का खुलकर विरोध किया था। राष्ट्रपति ने कहा कि इस देश के मालिक यहां के लोग हैं, वे इस देश का मार्ग और दिशा तय करते हैं। उन्होंने तेहरान में एक आॅटो उद्योग सम्मेलन में कहा कि मैं हमारे बुद्धिमान तथा बहादुर लोगों को धन्यवाद देता हूं। रूहानी ने कहा, यदि कुछ लोग अब भी ऐसे हैं, जो यह सोचते हैं कि देश को अन्य के साथ टकराव रखना चाहिए तो उन्होंने 2013 के संदेश से अब तक नहीं सीखा है।

राष्ट्रपति ने 2013 में राष्ट्रपति पद के चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल की थी। वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर वर्षों के गतिरोध और प्रतिबंधों को खत्म कराने के संकल्प के साथ चुनाव में उतरे थे। कोई भी अकेला समूह संसद की 290 सीटों में से निर्णायक हिस्सा हासिल नहीं कर पाया, लेकिन आंकड़े कहते हैं कि रूहानी सामान्य बहुमत हासिल करने में सफल होंगे। कंजर्वेटिव सूची में 103 सांसद और सुधारवादियों तथा उदारवादियों की सूची में 95 सांसद हैं। निर्दलीय सांसदों की संख्या 14 है। पांच सीटें अल्पसंख्यकों को गई हैं। चार सीटें ऐसे उम्मीदवारों को गर्इं, जो किसी एक पार्टी से संबद्ध नहीं हैं।