इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का देश के अंदर ही जबरदस्त विरोध हो रहा है। वजह है- गाजा पट्टी में नए सैन्य अभियान की उनकी विवादास्पद योजना। इसे लेकर सेना के शीर्ष नेतृत्व ने चेतावनी जारी की है, जबकि बंधकों के परिवारों ने विरोध जताया है। आशंका ये भी जताई जा रही है कि इससे और अधिक आम फिलिस्तीनी लोग मारे जाएंगे।

इस योजना से इजराइल के अंतरराष्ट्रीय रूप से और ज्यादा अलग-थलग पड़ने का खतरा भी बढ़ गया है। इजराइली सुरक्षा कैबिनेट की एक 10 घंटे लंबी बैठक में मंत्रियों ने गाजा शहर पर कब्जा करने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है, जैसा कि नेतन्याहू पहले ही साफ कर चुके हैं। इसे गाजा पर पूर्ण नियंत्रण की दिशा में पहले चरण के रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि ये साफ नहीं है कि ये अभियान कब शुरू होगा, लेकिन संभावना है कि यह कई महीने तक चल सकता है, क्योंकि सेना को हजारों रिजर्व सैनिकों को दोबारा बुलाना होगा। जो पहले ही कई बार सेवा दे चुके हैं और थक चुके हैं। साथ ही, उस क्षेत्र से निवासियों को जबरन खाली कराना होगा, जहां लगभग आठ लाख फिलिस्तीनी रहते हैं। इनमें से अधिकांश लोग, इस जंग के दौरान पहले ही बार-बार विस्थापित हो चुके हैं।

इजराइल गाजा को अपने पास नहीं रखना चाहता – नेतन्याहू

सुरक्षा कैबिनेट की बैठक से पहले नेतन्याहू ने एक साक्षात्कार दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि इजराइल गाजा पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। कैबिनेट के फैसले से ऐसा संकेत नहीं मिला कि उसने इस योजना को औपचारिक रूप से पूरी तरह मंजूरी दी है। साक्षात्कार में नेतन्याहू ने संकेत दिया कि इजराइल गाजा को अपने पास नहीं रखना चाहता। उन्होंने कहा, हम वहां शासन नहीं करना चाहते। हम वहां एक शासक इकाई के रूप में नहीं रहना चाहते। हम इसे अरब देशों की ताकतों को सौंपना चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस संभावित व्यवस्था में कौन से देश शामिल हो सकते हैं या इसकी रूपरेखा क्या होगी। फिर भी यह दुर्लभ संकेत था कि वह युद्ध के बाद गाजा को लेकर क्या सोच रहे हैं।

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अब तक प्रधानमंत्री नेतन्याहू गाजा में जंग के बाद की स्थिति को लेकर कोई साफ नजरिया नहीं पेश कर पाए हैं, सिवाय इसके कि उन्होंने फिलिस्तीनी प्राधिकरण को कोई प्रशासनिक भूमिका देने से इनकार किया है। फिलिस्तीनी प्राधिकरण कब्जे वाले वेस्ट बैंक पर शासन करता है और इजराइल को मान्यता देता है। इस योजना से इजराइल फिर से उन देशों के निशाने पर आ सकता है जो पहले ही गाजा की स्थिति को लेकर नाराजगी जता चुके हैं और इजराइल से जंग रोकने की अपील कर चुके हैं। यह जंग 7 अक्तूबर 2023 को हमास के हमलों के बाद शुरू हुई थी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किअर स्टार्मर ने इजराइल के फैसले को ‘गलत’ बताया है और नेतन्याहू सरकार से इस पर ‘तुरंत’ दोबारा विचार करने की अपील की है। इजराइली प्रधानमंत्री की प्रस्तावित योजनाओं की संयुक्त राष्ट्र ने भी निंदा की है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद इस बात की संभावना बहुत कम है कि नेतन्याहू अपने रुख से पीछे हटेंगे।

नेतन्याहू की इन योजनाओं का इजराइली सेना के चीफ आफ स्टाफ, लेफ्टिनेंट जनरल एयाल जामीर ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को चेतावनी दी थी कि गाजा पर पूर्ण कब्जा ‘एक जाल में फंसने जैसा’ होगा।