विभिन्न देशों के एक समूह विशेष से जुड़ते हुए भारत ने कहा है कि वह राष्ट्रमंडल के तहत आने वाले कमजोर देशों को 25 लाख डॉलर उपलब्ध करवाएगा ताकि स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल शुरू करने में और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने में उनकी मदद की जा सके।
यह घोषणा राष्ट्रमंडल की द्विवार्षिक बैठक के दूसरे दिन की गई। इस समूह में ब्रिटेन, आॅस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर जैसे ताकतवर देश और मालदीव, टोंगा और नौरू जैसे छोटे द्वीपीय देश शामिल हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, ‘भारत ने छोटे राष्ट्रमंडलीय देशों के व्यापार वित्त प्रतिष्ठान के लिए 25 लाख डॉलर की घोषणा की है। जैसा कि आप जानते हैं, राष्ट्रमंडल के 53 सदस्यों में 31 छोटे देश हैं और व्यापार वित्त उनके लिए महत्वपूर्ण हैं।’
यहां आयोजित हुई राष्ट्रमंडल सरकार प्रमुखों की 24वीं बैठक में जलवायु परिवर्तन से निपटने पर व्यापक चर्चा हुई और कई देशों ने पेरिस में शुरू होने जा रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से पहले कमजोर देशों को अपनी ओर से आर्थिक मदद देने का संकल्प लिया है।
भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि अमीर देशों को विकासशील देशों के साथ ‘जलवायु न्याय’ करना चाहिए। इसके साथ ही भारत जोर देता रहा है कि अमीर देशों की छोटे द्वीपों और गरीब देशों के प्रति प्रतिबद्धता मौजूदा स्तर से आगे जानी चाहिए।
इस शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया। सम्मेलन में लगभग 30 देशों के राष्ट्र प्रमुखों और सरकार प्रमुखों ने शिरकत की। कनाडा, ब्रिटेन और आॅस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने में गरीब देशों की मदद करने के लिए लगभग 2.5 अरब डॉलर देने का संकल्प लिया है।
माल्टा के प्रधानमंत्री जोसेफ मस्कट ने इस गुट के गरीब देशों में पर्यावरणीय परियोजनाओं को मदद करने वाले एक अरब डॉलर के राष्ट्रमंडल हरित वित्त प्रतिष्ठान का अनावरण किया। इससे इतर, ब्रिटेन ने आपदा प्रबंधन के लिए 2.1 करोड़ पाउंड और समुद्र आधारित अर्थव्यवस्था के लिए 55 लाख पाउंड देने का वादा किया है। आॅस्ट्रेलिया ने एक नए राष्ट्रमंडलीय विचार- जलवायु वित्त पहुंच केंद्र के लिए 10 लाख डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है। कनाडा ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में गरीब देशों की मदद के लिए दो अरब डॉलर की सहायता देने का संकल्प लिया है। इससे पहले, राष्ट्रमंडल और भारत, माल्टा, मॉरिशस एवं श्रीलंका की सरकारों ने छोटे देशों में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए व्यापार वित्त कोष की घोषणा की थी।
ऐच्छिक कोष का उद्देश्य 2 करोड़ डॉलर की नव-उद्यम पूंजी आकर्षित करना है। यह कोष व्यापारिक चुनौतियों का सामना कर रहे सदस्य देशों को उनकी व्यापारिक क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी वित्त उपलब्ध करवाएगा। प्रधानमंत्री मस्कट ने कहा, ‘हम सहायकों के रूप में काम कर रहे हैं ताकि छोटे क्षेत्रों के छोटे व्यापारी नए बाजारों तक अपनी पहुंच बना सकें।
हम अपने लिए और अन्य छोटे राष्ट्रमंडल देशों के लिए जरूरी व्यापार अवसंरचना को खड़ा करने के लिए बहुत उत्सुक हैं।’ इस कोष के जरिए सदस्य देशों में बड़े बैंकों के जरिए छोटे बैंकों को रिण देने की प्रक्रिया में तेजी लाने और जोखिम कम करने की कोशिश की जाएगी। वित्तीय निवेश उन सदस्य देशों और अन्य से लेने की कोशिश की जाएगी, जिन्होंने इस भागीदारी में रूचि दिखाई है। इस कोष का पहला चरण तीन साल तक चलेगा और इसके बाद समीक्षा होगी।
