पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने 2007 के लाल मस्जिद मामले में सुनवाई के दौरान बार-बार गैरहाजिर रहने पर एक अदालत से जारी गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट को चुनौती दी है।
पूर्व राष्ट्रपति ने शुक्रवार को याचिका दायर कर गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट खारिज करने का अनुरोध किया। लाल मस्जिद के मौलवी अब्दुल राशिद गाजी की हत्या के मामले में सुनवाई के दौरान बार-बार हाजिर नहीं होने को लेकर गुरुवार को को उनके खिलाफ यह वारंट जारी हुआ था।
डॉन ने शनिवार को खबर दी कि अपनी याचिका में मुशर्रफ ने कहा कि उन्हें एक मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होना था जो क्वेटा की एक आतंकवाद निरोधक अदालत के निर्देश पर उनके स्वास्थ्य के बारे में पता लगाने के लिए गठित किया गया है। इस अदालत में नवाब अकबर बुगती हत्याकांड का मामला लंबित है।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक मुशर्रफ ने दलील दी कि पुलिस ने लाल मस्जिद मामले की सघन जांच के बाद उन्हें निर्दोष घोषित किया है और उनका नाम जांच रिपोर्ट में डाला है। यह रिपोर्ट सीआरपीसी के तहत तैयार की गई है जिसे केस चालान के रूप में जाना जाता है।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति नुरुल हक एन कुरैशी की एक सदस्यीय पीठ सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई कर सकती है। गुरुवार को इस्लामाबाद जिला व सत्र न्यायालय के न्यायाधीश वाजिद अली ने पेशी से छूट संबंधी पूर्व राष्ट्रपति की याचिका खारिज करते हुए उनके खिलाफ वारंट जारी किया।
2007 में लाल मस्जिद पर हुए एक सैन्य अभियान में मौलवी और उसकी मां की हत्या को लेकर मुशर्रफ के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। मुशर्रफ के आदेश पर सैन्य कमांडो ने मस्जिद पर धावा बोला था और गाजी मारा गया था।