Pakistani Army Chief: पाकिस्तानी सरकार ने घोषणा की है कि पाकिस्तानी सेना के सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट किया जा रहा है। खास बात यह भी है कि इससे पहले फील्ड मार्शल के तौर पर अयूब खान को प्रमोट किया गया था और अब असीम मुनीर दूसरे फील्ड मार्शल बन गए हैं।
मोहम्मद अयूब खान की बात करें तो वे 1958 से 1969 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे थे। पाकिस्तानी सेना के पहले फील्ड मार्शल थे। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि 1958 में तख्तापलट करने और खुद को देश का राष्ट्रपति बनाने के बाद अयूब खान ने सेना में खुद को सर्वोच्च सैन्य पद पर पदोन्नत किया था। अगले वर्ष 1959 में सेना से सेवानिवृत्ति की उम्र के करीब, अयूब खान ने पाकिस्तानी नागरिक समाज के सदस्यों के ‘लगातार अनुरोध’ का हवाला देते हुए खुद को फील्ड मार्शल का पद दिया था। अक्टूबर 1959 में राष्ट्रपति मंत्रिमंडल द्वारा उन्हें पदोन्नत करने की घोषणा जारी की गई थी।
अयूब खान से कितना अलग है मुनीर का प्रमोशन?
अयूब खान ने राष्ट्रपति बनने के बाद जनरल मूसा खान को पाकिस्तानी सेना का कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया था। उसके बाद वे सेना की कमान संभालने में सक्रिय नहीं रहे और देश चलाने पर ध्यान केंद्रित किया। बुनियादी अंतर यह है कि अयूब ने खुद को प्रमोट किया था था, जबकि असीम मुनीर को प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली पाकिस्तान की नागरिक सरकार ने किया है।
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2027 में होगा रिटायरमेंट
अयूब और असीम में अंतर ये भी है कि अयूब ने फील्ड मार्शल के तौर पर पाकिस्तानी सेना की कमान नहीं संभाली, जबकि असीम मुनीर अपनी सेवानिवृत्ति की निर्धारित तिथि तक पाकिस्तानी सेना के सेनाध्यक्ष बने रहेंगे। नवंबर 2024 में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली द्वारा पारित एक विधेयक के कारण वे 2025 में सेना से सेवानिवृत्त हो जाते, जिसके तहत सेना, नौसेना और वायु सेना प्रमुखों का कार्यकाल तीन साल से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया। अब वे 2027 में सेवानिवृत्त होंगे।
सऊदी में किया लिया था इस्लामिक अध्ययन
जनरल असीम मुनीर को अप्रैल 1986 में फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में कमीशन मिला था। उन्होंने मंगला में ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल (ओटीएस) से ग्रेजुएशन किया था, जिसे अब बंद कर दिया गया है। पासिंग आउट परेड में उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया। मुनीर ने जापान के फ़ूजी स्कूल, क्वेटा के कमांड और स्टाफ़ कॉलेज, कुआलालंपुर के मलेशियाई सशस्त्र बल रक्षा कॉलेज और इस्लामाबाद के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (NDU) में करियर कोर्स में भाग लिया है।
कहा जाता है कि सऊदी अरब में तैनाती के दौरान उन्होंने इस्लामिक अध्ययन किया था और कुरान को याद किया। उन्होंने लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट की 23वीं बटालियन की कमान संभाली है और ब्रिगेडियर के रूप में उत्तरी क्षेत्रों में एक पैदल सेना ब्रिगेड की कमान संभाली है। मेजर जनरल के रूप में उन्होंने उत्तरी क्षेत्रों में फोर्स कमांडर और बाद में सैन्य खुफिया महानिदेशक के रूप में कार्य किया।
पुलवामा हमले के वक्त कहां थी तैनाती
लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर प्रमोशन के बाद उन्होंने डीजी आईएसआई के पद पर कार्य किया और 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के समय वे इसी पद पर थे। इसके बाद उन्होंने गुजरांवाला में 30 कोर के जीओसी के रूप में कार्य किया। नवंबर 2022 में सेना प्रमुख के रूप में पदोन्नत होने से पहले वे रावलपिंडी में पाकिस्तान जीएचक्यू में क्वार्टरमास्टर जनरल के पद पर कार्यरत थे।