इस्लामाबाद, 29 मई (भाषा)। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले डा. अब्दुल कादिर खान ने कहा कि परमाणु क्षमता संपन्न पाकिस्तान में पांच मिनट के अंदर भारत की राजधानी दिल्ली को निशाना बनाने की क्षमता है। पाकिस्तान के पहले परमाणु परीक्षण की 18वीं बरसी पर यहां एक सभा में खान ने कहा कि पाकिस्तान 1984 में ही परमाणु क्षमता संपन्न हो सकता था लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने इस कदम का विरोध किया था। खान के नेतृत्व में 1998 में परीक्षण किए गए थे।

अस्सी वर्षीय परमाणु विज्ञानी ने कहा कि 1978 से 1988 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे जनरल जिया ने परमाणु परीक्षण का विरोध किया था क्योंकि उन्हें लगता था कि ऐसा होने पर दुनिया सैन्य तरीके से हस्तक्षेप करेगी। इसके अलावा इससे उसे मिल रही अंतरराष्ट्रीय सहायता में कटौती हो जाएगी जो अफगानिस्तान में रूसी कब्जे की वजह से मिल रही थी।

खान ने शनिवार को कहा, ‘हमारी 1984 में परमाणु परीक्षण की योजना थी और हम कर सकते थे। लेकिन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने कदम का विरोध किया।’ खान ने कहा कि पाकिस्तान के पास पांच मिनट के अंदर रावलपिंडी के नजदीक कहूटा से दिल्ली पर निशाना साधने की क्षमता है। कहूटा में कहुआ रिसर्च लैबोरेटरीज है जो पाकिस्तान का प्रमुख यूरेनियम संवर्धन केंद्र है।

खान को 2004 में हटा दिया गया था जब उन्हें परमाणु प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करने को मजबूर किया गया और आधिकारिक नजरबंदी में रहने को बाध्य किया गया। साल 2009 में इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने खान को पाकिस्तान का स्वतंत्र नागरिक घोषित किया जिससे उन्हें देश के अंदर स्वतंत्र आवाजाही की इजाजत मिली। उन्होंने अपने साथ हुए बर्ताव पर अफसोस जताते हुए कहा कि पाकिस्तान उनकी सेवाओं के बिना कभी पहले मुसलिम परमाणु संपन्न देश का दर्जा नहीं हासिल कर पाता।

खान ने कहा, ‘मेरी सेवाओं के बिना पाकिस्तान कभी पहला मुसलिम परमाणु संपन्न राष्ट्र नहीं बन पाता।’ उन्होंने जनरल परवेज मुशर्रफ के शासनकाल में अपने साथ हुए बर्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि देश में परमाणु वैज्ञानिकों को वह सम्मान नहीं दिया गया जिसके वे हकदार हैं। खान ने कहा, ‘हम देश के परमाणु कार्यक्रम में अपनी सेवाओं के खिलाफ बुरी स्थिति का सामना कर रहे हैं।’

हालांकि भारतीय विशेषज्ञों ने उनके दावों को खारिज किया है। पाकिस्तान से पांच मिनट के अंदर नई दिल्ली पर निशाना साधने की पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले डा एक्यू खान की टिप्पणी की भारतीय रणनीतिक विशेषज्ञों ने निंदा की और कहा कि भारत में भी पूरे पाकिस्तान को निशाना बनाने की क्षमता है। विशेषज्ञों ने कहा कि लेकिन परमाणु हथियार जंग के लिए नहीं बल्कि प्रतिरोध के लिए होते हैं। विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के निदेशक पूर्व सेना प्रमुख जनरल एनसी विज ने कहा, ‘यह बहुत अपरिपक्व और विचित्र टिप्पणी है। परमाणु मिसाइल जंग के हथियार नहीं बल्कि प्रतिरोध के हथियार होते हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत में भी पूरे पाकिस्तान को निशाना बनाने की क्षमता है लेकिन वह इस तरह की बातें नहीं करता।

पाकिस्तान में पहले परमाणु परीक्षण की 18वीं बरसी पर शनिवार को इस्लामाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में खान ने कहा था कि पाकिस्तान में रावलपिंडी के पास कहूटा से पांच मिनट में भारतीय राजधानी पर निशाना साधने की क्षमता है। सरकार द्वारा संचालित इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस में पदस्थ ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) गुरमीत कंवल ने कहा कि खान बढ़ा-चढ़ाकर किए गए अपने दावों के लिए जाने जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘परमाणु हथियार प्रतिरोध के लिए हैं और पाकिस्तान बहुत उकसावे पर ही इसका इस्तेमाल करेगा। अगर हम मान भी लें कि अप्रत्याशित रूप से पाकिस्तानी सेना प्रमुख कल परमाणु आक्रमण के लिए आदेश दे देते हैं तो शांतिकाल की सतर्कता को देखते हुए उन्हें शुरुआत करने में कम से कम छह घंटे लगेंगे।’ सेंटर फॉर एअर पॉवर स्टडीज में कार्यरत एअर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) मनमोहन बहादुर ने कहा, ‘यह केवल प्रचार पाने वाला बयान है।’ उन्होंने कहा, ‘खान ऐसे बयान देकर केवल अपने महत्व को दर्शाना चाहते हैं।’

सोसायटी फॉर पॉलिसी स्टडीज से जुड़े कमोडोर (सेवानिवृत्त) सी उदय भास्कर ने कहा कि नाटकीय घोषणाएं करने और खबरों में बने रहने में खान की दिलचस्पी सब जानते हैं।