पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम हिस्से में भीड़भाड़ वाले एक सरकारी दफ्तर के गेट के सामने एक मोटरसाइकिल सवार आत्मघाती तालिबान हमलावर के विस्फोट कर खुद को उड़ा लिया। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई और 40 अन्य घायल हो गए। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से अलग हुए धड़े जमायतुल अहरार ने हमले की जिम्मेदारी ली है। पेशावर के आर्मी स्कूल पर पिछले साल 16 दिसंबर को हुए आतंकी हमले के बाद से यह उत्तर पश्चिम हिस्से में सबसे भयंकर हमलों में एक था।
अधिकारियों ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा के मरदान में नेशनल डाटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन आॅथोरिटी (नड्रा) के बाहर जब सुरक्षा गार्डों ने बम हमलावर को रोका तो उसने विस्फोट कर खुद को उड़ा लिया। नड्रा पाकिस्तानी नागरिकों के सरकारी डाटाबेस का नियमन और उनके पंजीकरण का प्रबंधन संभालता है।
बीबीसी ऊर्दू सेवा के मुताबिकमरदान डिवीजन के उपमहानिरीक्षक सईद वजीर ने कहा, ‘यदि सुरक्षा गार्ड ने हमलावर को दफ्तर के गेट पर नहीं रोका होता तो मरने वालों की संख्या बहुत ही ज्यादा होती।’ उन्होंने बताया कि इस विस्फोट में 12 किलोग्राम तक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया होगा। धमाका इतना जबर्दस्त था कि दफ्तर के इस भवन को भारी नुकसान पहुंचा, साथ ही इस भवन के समीप खड़े कई वाहनों के शीशे चटक गए। सईद वजीर के मुताबिक हमलावर की उम्र 20-22 साल रही होगी। एक आपात बचाव अधिकारी ने बताया कि इस विस्फोट में कम से कम 26 लोगों की जान चली गई। विस्फोट इतना जबर्दस्त था कि लोगों के चिथड़े उड़ गए। उस वक्त दफ्तर में भारी भीड़ थी।
घायलों को मरदान मेडिकल परिसर और शहर के अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कुछ घायलों को पेशावर अस्पताल में ले जाया गया, जहां उनमें से 10 की हालत गंभीर है। इलाके को सुरक्षा एजंसियों ने घेर लिया है। गृह मंत्रालय ने इस विस्फोट पर तत्काल रिपोर्ट मांगी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए निर्दोष लोगों के मारे गहरा दुख प्रकट किया।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से अलग हुए धड़े जमायतुल अहरार ने इस विस्फोट की जिम्मेदारी ली है। इस संगठन का कहना है कि उसने ‘बुतपरस्त पाकिस्तान देश’ पर हमला किया है। पिछले साल वाघा सीमा पर हुए विस्फोट के पीछे भी इसी संगठन का हाथ था।