पाकिस्तान जहां एक तरफ आर्थिक समस्या से जूझ रह है तो वहीं चीनी कंपनी का प्लांट बंद होने के चलते देश में अब बिजली का संकट गहरा गया है। पाकिस्तान आज कुल 7,324 मेगावाट बिजली की कमी से जूझ रहा है। इस कमी से कराची और लाहौर जैसे प्रमुख शहरों में 12 से 16 घंटे तक बिजली कटौती की गई है। जिससे लोगों को काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान में सबसे बड़े पनबिजली संयंत्रों में से एक जिसे नीलम नदी पर एक चीनी फर्म द्वारा बनाया गया था, लेकिन सुरंग के अंदर गहरे भूगर्भीय विफलता के कारण रुक गया, जो नदी के पानी को बिजली संयत्र में बदल देता है।

969MW बिजली संयंत्र के बंद होने से पाकिस्तान आज कुल 7,324 मेगावाट बिजली की कमी का सामना कर रहा है। इस कमी से कराची और लाहौर जैसे प्रमुख शहरों में 12 से 16 घंटे तक बिजली कटौती से जूझ रहे लोगों के लिए बिजली की स्थिति और खराब होने की संभावना है।

सरकार पहले ही इंटरनेट और मोबाइल कनेक्शन बंद करके बिजली बचाने की संभावना के साथ ‘बिजली आपातकाल’ घोषित कर चुकी है। बाजार और कार्यालय जल्दी बंद हो जाते हैं और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली अब तक के सबसे खराब स्थिति का सामना कर रही है।

वहीं तीव्र बिजली संकट ने राजनीतिक असफलताओं, आर्थिक मंदी और विभाजित सेना से त्रस्त शहबाज शरीफ की मौजूदा सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। नीलम-झेलम जल विद्युत संयंत्र की मरम्मत में छह महीने से अधिक समय लगने की संभावना है, जिससे देश को अन्य स्रोतों से अतिरिक्त बिजली किल्लत के लिए जूझना पड़ सकता है।

2018 में 508 रुपए बिलियन की लागत से बने नीलम-झेलम संयंत्र के बंद होने से काफी समय और लागत के बाद मामला और भी खराब हो गया है। हालांकि इस समस्या के सही कारण का अभी पता नहीं चल पाया है, जानकारी के मुताबिक, 3.5 किमी लंबी सुरंग को ब्लॉक कर दिया गया है।

पाकिस्तान के जल प्राधिकरण, WAPDA, ने उसी चीनी फर्म को रुकावट की पहचान करने और उसे ठीक करने के लिए लगाया है। प्राधिकरण ने अमेरिकी फर्म स्टैंटेक से भी सलाह मांगी है।