जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट हर जगह दिखाई दे रही है। पाकिस्तान हर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मामले को बहस के केंद्र में रखने की नामुमकिन कोशिश कर रहा है। हताशा की स्थिति ऐसी है कि संसद के स्पीकरों के अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में भी वह कश्मीर का मुद्दा उठाने की कोशिश से बाज नहीं आ रहा। मालदावी में चल रहे दक्षिण एशियन स्पीकर्स कमिटी कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया। इसके जवाब में भी भारत की तरफ से राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने तुरंत करारा जवाब दिया और कहा कि जिस देश ने बड़े स्तर पर अपने ही लोगों का नरसंहार किया हो उसे मानवाधिकार पर बोलने का हक नहीं है। हरिवंश ने सीमापार आतंकवाद का भी मुद्दा उठाया और बंद करने को कहा।
पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल लगातार कश्मीर पर बहस करते जा रहा था। ऐसी स्थिति में कार्यक्रम के भीतर शोरगुल की स्थिति पैदा हो गई। क्योंकि, भारत ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कड़े शब्दों में विरोध किया। लेकिन, पाकिस्तान को मुंह की तब खानी पड़ गई जब कार्यक्रम का संचालन कर रहे मालदीव की संसद के स्पीकर मोहम्मद नशीद को टोकते हुए कहना पड़ा कि इस फोरम में किसी देश के ‘आंतरिक’ मामलों को नहीं उठाया जा सकता।
गौरतलब है कि मालदीव की संसद रविवार को सस्टेनेबल डिवेलपमेंट गोल पर साउथ एशियन स्पीकर्स समिट की मेजबानी कर रही थी। इसी दौरान पाकिस्तान की तरफ से वहां के डेप्यूटी स्पीकर कासिम सुरी और पाकिस्तानी सासंद कुर्रतुल एन मारी ने कश्मीर का मुद्दा उठाया। इस दौरान भारत के लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरवंश नारायण सिंह भी मौजूद थे और उन्हें इसका जमकर विरोध किया और पाकिस्तान पर हमला बोल दिया।
कार्यक्रम में बोलते हुए सुरी ने अचानक ही कश्मीर का मुद्दा छेड़ दिया और कहा, “कश्मीर की स्थिति को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। वहां लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं।” भारत ने इस पर पलटवार करते हुए पाकिस्तान को दो टुक कह दिया जो देश अपनी ही जनता का नरसंहार करता हो उसे नसीहत नहीं देनी चाहिए। हरिवंश ने कहा, “हम भारत के आंतरिक मामले को इस फोरम पर उठाए जाने पर आपत्ति जताते हैं।”

