आतंकवाद पर कार्रवाई को लेकर चौतरफा घिरा पाकिस्तान की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। आर्थित मोर्चे पर जबरदस्त मार झेल रहे पाकिस्तान की अक्टूबर में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अगले महीने पेरिस में टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाफाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में पाकिस्तान के ब्लैकलिस्ट होने की आशंका है।
पाकिस्तान बैंकॉक में हुई बैठक में टेरर फंडिंग पर सफाई नहीं दे पाया। इस बैठक में पाकिस्तान से कुल 27 बिंन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया। इनमें से पाकिस्तान सिर्फ 6 बिन्दुओं पर ही जवाब दे सका। सवालों के जवाब न देने पर पाकिस्तान की को एकबार फिर गहरा धक्का लग सकता है।
इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भरोसा दिलाने में नाकाम रहा है। एफएटीएफ की एशिया-पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने अपने मानकों पर खरा नहीं उतरने की वजह से पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किया हुआ है। एपीजी पाकिस्तान से आइएस, अलकायदा, जमात-उद-दावा, लश्करे तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए कहता रहा है। पिछले साल संस्था एफएटीएफ ने उसे अपनी ‘ग्रे लिस्ट’ में स्थान दिया था। एफएटीएफ ने तब से लेकर अबतक पाकिस्तान को इसी लिस्ट में रखा है।
अगर पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट में डाल दिया जाता है तो पाकिस्तान को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पाकिस्तान को वित्तीय मदद रोक दी जाएगी। वित्तीय संस्थाएं उनकी वित्तीय रेटिंग को नीचे गिरा देंगे। पाकिस्तान दुनिया में आतंकवाद की फैक्टरी के रूप में कुख्यात है। उसका सबसे बड़ा मददगार और हमदर्द अमेरिका तक कह चुका है कि वह धरती पर आतंकवाद फैलाने वाला सबसे बड़ा देश है।