पाकिस्तान आर्थिक तंगी से गुज़र रहा है। हालात यह हैं कि भारत के पड़ोसी देश को अगले चार सालों में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भारी भरकम विदेशी कर्ज चुकाना है। वहां की सरकार ने कहा है कि यह रकम देश की मौजूदा 9.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार से करीब 10 गुना ज़्यादा है। यह जानकारी एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार में शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के ज़रिए सामने आई है।
क्या बोले वित्त राज्य मंत्री अली परवेज मलिक?
पाकिस्तान के वित्त राज्य मंत्री अली परवेज मलिक ने गुरुवार को नेशनल असेंबली की स्थायी समिति की बैठक में कहा कि पाकिस्तान पर विदेशी कर्जा अब तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है।
पाकिस्तान यह कर्ज कैसे चुकाएगा, कब चुकाएगा, इसके संबंध में सरकार ने कोई खास जानकारी नहीं दी है। वित्त मंत्री के बयानों से यह समझ आता है कि वहां की सरकार के पास इस कर्जे को चुकाने के लिए कोई बेहतर योजना नहीं है, सिवाय इसके कि सरकार हर साल कर्ज का पैसा वापस मांग रहे देशों से एक साल और आगे बढ़ाने का अनुरोध करती रहे। सरकार की योजना यह भी हो सकती है कि वह किसी नए कर्ज से मौजूदा कर्ज को चुकाए और फिर बेहतर स्थिति में आने का प्रयास करे।
पाकिस्तान को कर्ज का भारी भरकम बोझ जिन देशों को चुकाना या सेटल करना है उनमें सऊदी अरब (5 बिलियन अमरीकी डॉलर), चीन (4 बिलियन अमरीकी डॉलर), यूएई (3 बिलियन अमरीकी डॉलर) और कुवैत (700 मिलियन अमरीकी डॉलर) से हैं। लेकिन पाकिस्तानी सरकार की रणनीति पहले ही उल्टी पड़ने लगी है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) बोर्ड की बैठक की तारीख को सुरक्षित करने में भी काफी देरी हुई है। अब पाकिस्तान ऐसे तरीके खोजने के प्रयास में है, जिससे कर्ज के इस दबाव से मुक्ति मिले लेकिन पाकिस्तान की यह राह आसान होती नहीं दिखाई दे रही है।