पाकिस्‍तानी विशेषज्ञों ने अंदेशा जताया है कि भाजपा के बढ़ते प्रभाव के चलते भारत अपनी परमाणु नीति में बदलाव कर सकता है। पाकिस्‍तान की ओर से डर जताया गया है कि भारत परमाणु हथियारों को पहले उपयोग करने की अपनी रणनीति को बदल सकता है। पाकिस्‍तानी अखबार द डॉन ने एक रिटायर्ड पाकिस्‍तानी जनरल के हवाले से लिखा है, ”भाजपा सरकार के अतिवादी हिंदुत्‍व एजेंडे की पृष्‍ठभूमि में यह बदलाव हो रहा है।” रिटायर्ड जनरल एहसान उल हक ने लिखा, ”भारत का पुनर्विचार उकसावे वाली कार्रवाई की शृंखला में नया कदम है।”

हक ने डॉक्‍टर नईम सलिक की किताब ‘लर्निंग टू लिव विद द बॉम्‍ब, पाकिस्‍तान: 1998-2016’ के लॉन्‍च के मौके पर यह बयान दिया। पिछले सोमवार (27 मार्च) को मैसाचुसेट्स इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी (एमआईटी) के परमाणु मामलों के जानकार विपिन नारंग ने भारत की परमाणु नीति में बदलाव के बारे में कहा था। उन्‍होंने कहा था कि इस मामले में भारत, पाकिस्‍तान को पहले इस्‍तेमाल नहीं करने देगा। और भारत की कार्रवाई पारंपरिक नहीं होगी।

बिपिन नारंग ने कहा कि मौजूदा हालातों को देखते हुए भारत पाकिस्तान को परमाणु हमला करने का मौका ही नहीं देगा। भारत जो हमला कर सकता है वो शहरी आबादी को नुकसान पहुंचाने के मकसद से करे इसकी संभावना कम है। भारत पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में रखे परमाणु हथियारों के ठिकाने को निशाना बना सकता है।

रिटायर्ड पाकिस्‍तानी जनरल ने कहा कि भारत के पहले परमाणु इस्‍तेमाल ना करने की नीति को लेकर पाकिस्‍तान ने हमेशा संशय जताया है। नारंग के बयानों से पाकिस्‍तान के बयान का समर्थन ही होता है। उन्‍होंने कहा कि भारतीय खुद ही अब अपनी पोल खोल रहे हैं। भारत के पूर्ववर्ती पूर्वी पाकिस्‍तान में दखल देने की बात को मानने, सार्क समिट का बहिष्‍कार करने, एलओसी की स्थिति, सर्जिकल स्‍ट्राइक के दावों ने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाया है। हक ने कहा, ”हमें हमारी नीति का अध्‍ययन करना होगा, साथ ही दूसरी ओर जो हो रहा है उस पर भी नजर रखनी होगी जिससे नई परिस्थिति के अनुसार खुद को ढाल सके।”