पाकिस्तान में शहबाज शरीफ दूसरी बार मुल्क के प्रधानमंत्री बन चुके हैं। बिलावल भुट्टो की पार्टी और कुछ निर्दलीयों के दम पर सरकार बनाने वाले शहबाज अब फिर देश की राह तय करने जा रहे हैं। उनका पिछला कार्यकाल हर मोर्चे पर बुरी तरह फेल साबित हुआ था, महंगाई ने जनता को त्रस्त किया था और कर्ज की मार ने उसे कंगाल बना दिया था। अब जब फिर शहबाज के हाथ में ही सत्ता की चाबी है, सवाल यही है कि इस बार नए प्रधानमंत्री के सामने क्या चुनौतियां।
चैलेज नंबर 1- अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान में शहबाज शरीफ के सामने सबसे बड़ी चुनौती फिर अर्थव्यवस्था को पटली पर लाने की रहने वाली है। ये नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान पिछले कई सालों से आर्थिक मोर्चे पर फिसड्डी साबित हो रहा है, कोई भी पहलू उठाकर देख लें, प्रदर्शन खराब चल रहा है। वर्तमान में पाकिस्तान में महंगाई दर 25 से 30 फीसदी चल रही है, बेरोजगार युवाओं की तादाद बढ़ती जा रही है और विकास दर मात्र 2 फीसदी दर्ज की गई है।
चैलेंज नंबर 2- गरीबी
इसके ऊपर पाकिस्तान का इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट काफी धीमा है, निवेश की स्थिति लचर चल रही है और इसका सारा खामियाजा मुल्क का गरीब भुगत रहा है जिसके पास ना खाने को खाना है और ना ही रहने के लिए सिर पर छत। अब अगर शहबाज शरीफ को पाकिस्तान को इस दलदल से बाहर निकालना है तो हर कीमत पर IMF में 3 बिलियन डॉलर का बेल आउट पैकेज चाहिए होगा। अगर समय रहते वो मिल जाता है तो पाकिस्तान पटरी पर लौट सकता है।
चैलेंज नंबर 3- आतंकवाद
अब अगर अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कुछ राहत मिल भी गई, पाकिस्तान की हालत खस्ता करने के लिए वहां पनप रहा आतंकवाद काफी है। पाकिस्तान में कई ऐसे आतंकी संगठन मौजूद हैं जो दूसरे मुल्कों पर तो हमला करते ही हैं, पाकिस्तान की धरती को भी लाल कर रखा है। तहरीके तालिबान पाकिस्तान एक ऐसा आतंकी संगठन ने जिसने मुल्क में कई लोगों की जान ली है। अफगानिस्तान सीमा पर भी जैसी स्थिति बनी हुई है, आतंकियों का आसानी से आना-जाना लगा हुआ है।
चैलेंज नंबर 4- अस्थिरता
इसके ऊपर पाकिस्तान में कई इलाकों में भयंकर अस्थिरता है, फिर चाहे बात बलूचिस्तान की हो या फिर खैबर पख्तूनख्वा की। इन इलाकों से विरोध की ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं कि शहबाज शरीफ की सत्ता पर हमेशा खतरा बना रहेगा। एक आंकड़ा बताता है कि पाकिस्तान में पिछले साल आतंकवाद ने 400 से ज्यादा लोगों की जान ली थी।
चैलेंज नंबर 5- विश्वास की कमी
पाकिस्तान की सियसी अस्थिरता भी शहबाज शरीफ के लिए किसी बड़ी सिरदर्दी से कम नहीं। यहां समझने वाली बात ये है कि पाकिस्तान के इस चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है, वहीं इमरान खान के समर्थन वाले निर्दलीय सबसे ज्यादा तादाद में जीतकर आए हैं। ऐसे में जानकार मानते हैं कि वर्तमान सरकार में जनता का विश्वास कम है क्योंकि उनका जनादेश इन्हीं लोगों के खिलाफ पड़ा है। अब इस कम विश्वास के बीच खुद के लिए कैसे विश्वास पैदा किया जाए, ये पीएम शहबाज के सामने एक बड़ी चुनौती है। वहीं पाकिस्तान की सेना के साथ भी वे किस तरह से तालमेल बैठाते हैं, ये देखना दिलचस्प रहने वाला है।
चैलेंज नंबर 6- पाक सेना
पाकिस्तान में सेना ही सत्ता का फैसला करती है, अगर थोड़ी भी चुनौती पेश की गई तो तख्तापलट होने में देर नहीं लगती। इमरान खान, उससे पहले नवाज शरीफ सेना का गुस्सा झेल चुके हैं। ऐसे में उसी पाक सेना को खुश रखना भी पीएम शहबाज के लिए एक चुनौती साबित होगा।
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