पाकिस्तान चुनाव के नतीजे साफ होने लगे हैं। इमरान खान समर्थित निर्दलीय सबसे ज्यादा जीतकर आए हैं। 90 से ऊपर उनका आंकड़ा जा चुका है। दूसरी तरफ नवाज शरीफ की पार्टी 60 सीटों के फेर में फंस चुकी है, वहीं बिलावल की पीपीपी 51 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई है। यानी कि बहुमत के 134 वाले आंकड़े से ये भी सभी पार्टियां कोसो दूर चल रही हैं। लेकिन फिर भी उसी बहुमत का दावा सभी द्वारा किया जा रहा है।

नवाज ने लगा लिया जुगाड़

सबसे बड़ी खबर ये है कि नवाज शरीफ ने अपनी जीत का दावा कर दिया है। उनकी तरफ से जनता के सामने आभार भी जता दिया गया है। बड़ी बात ये है कि उन्होंने जनता के सामने इस बात को स्वीकार किया है कि उनकी पार्टी को इतनी सीटें नहीं मिलीं कि वे खुद सरकार बना सकें, ऐसे में बिलावल भुट्टो की पार्टी के साथ गठबंधन किया जाएगा। उस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकातों का दौर भी जारी है।

लेकिन अभी भी एक पेंच ये फंस रहा है कि अगर नवाज और बिलावल की पार्टी साथ भी आ जाती हैं, तब भी बहुमत के आंकड़े तक कोई भी नहीं पहुंच पा रहा है। इसी वजह से निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका सबसे अहम बन चुकी है। ये बात सच है कि जो निर्दलीय जीते हैं, उनमें से ज्यादातर इमरान खान को समर्थन देने वाले नेता हैं। ये तो क्योंकि पीटीआई के चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर लिया गया था, ऐसे में निर्दलीय बन चुनाव लड़ा गया।

इमरान विश्वास से भरे

अब इमरान खान तो जेल में कैद हैं, लेकिन इन चुनावी नतीजों पर उनकी भी पैनी नजर बनी हुई है। बताया जा रहा है कि उनकी तरफ से भी सरकार बनाने का दावा है। उनका तर्क है कि उनके समर्थित निर्दलीयों को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। उन्होंने नवाज की तरह किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने से भी साफ मना कर दिया है, उनका मानना है कि वे अपने दम पर सरकार बनाने जा रहे हैं। लेकिन इस विश्वास के बीच चुनावी आंकड़े बताते हैं कि इमरान को अपने निर्दलीय उम्मीदवारों की रक्षा करनी पड़ेगी।

निर्दलीयों पर बड़ा संकट

पाकिस्तान का एक नियम है, निर्दलीयों को एक महीने के भीतर किसी ना किसी पार्टी के साथ जुड़ना पड़ेगा। अब अगर इमरान कोई दूसरी छोटी पार्टी बना उन सभी निर्दलीयों को शामिल कर लें तो उनकी बात बन सकती है। लेकिन दूसरी तरफ अगर जुगाड़ और दूसरे तरीकों से नवाज और बिलावल कई निर्दलीयों को तोड़ अपने साथ शामिल कर लें, तो इमरान का काम भी बिगड़ सकता है।

पाक सेना को जनता का थप्पड़

वैसे इस चुनाव का एक अहम पहलू ये भी है कि पहली बार पाकिस्तान की सेना को जनता का करारा थप्पड़ पड़ा है। सेना की तरफ से पूरी कोशिश की गई थी कि नवाज की ताजपोशी हो जाए, लेकिन जनता के वोट ने बता दिया कि आज भी उनके मन और दिल में इमरान खान बसे हैं। इसी वजह से इमरान के जेल में होने के बावजूद, उनकी पार्टी के रद्द होने के बावजूद, बड़े स्तर पर लोगों ने उनका समर्थन किया और अब चुनावी आंकड़ों में भी उसकी तस्दीक होती दिख रही है। यानी कि पाक सेना के तमाम प्रयास भी जनता के जनादेश को नहीं बदल पाए हैं। अब सरकार पाकिस्तान में किसकी बनने जा रही है, कुछ घंटों में सबकुछ शीशे की तरह साफ हो जाएगा।