पाकिस्तान के एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को पीओके में नागरिक समाज गठबंधन (Civil Society Alliance) के साथ बातचीत की। यह बातचीत प्रदर्शनकारियों और कानून प्रवर्तकों के बीच कई दिनों से चल रही झड़पों के बाद हुई है। इन झड़पों में कम से कम 10 लोग मारे गए हैं और कई गंभीर रूप से घायल हुए हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बातचीत के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन किया था। वहीं, पाक प्रधानमंत्री ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच पीओके की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की।

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की स्थिति पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने हिंसक विरोध प्रदर्शनों को समाप्त करने के वास्ते समाधान खोजने के लिए गठित वार्ता समिति का विस्तार किया है। जम्मू कश्मीर ज्वाइंट अवामी एक्शन कमेटी (JKJAC), पीओके और संघीय सरकार के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा उठाए मुद्दों को हल करने में नाकाम रहने के बाद जेकेजेएएसी ने तीन दिन की हड़ताल की। इसके बाद शरीफ ने यह कदम उठाया।

पीओके में जारी प्रदर्शनों के दौरान 6 नागरिकों और 3 पुलिसकर्मियों की मौत

‘द न्यूज’ की एक खबर के मुताबिक, पीओके में जारी प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 6 नागरिकों और तीन पुलिस कर्मियों की मौत हुई है। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनों में लगभग 172 पुलिस कर्मी जख्मी हुए, जिनमें से 12 की हालत गंभीर बताई गई है। अखबार ने यह भी बताया कि हिंसक प्रदर्शनों के दौरान लगभग 50 नागरिक भी घायल हुए। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा गया कि शरीफ ने “विरोध प्रदर्शनों के दौरान दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर गहरी चिंता” व्यक्त करते हुए मामले की पारदर्शी जांच के आदेश दिए हैं।

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शहबाज शरीफ ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को प्रदर्शनकारियों के साथ संयम के साथ बर्ताव करने का भी निर्देश दिया है। बयान में कहा गया, “प्रधानमंत्री ने नागरिकों से शांति बनाए रखने की पुरजोर अपील की है। उन्होंने गुजारिश की कि शांतिपूर्ण विरोध हर नागरिक का संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है लेकिन प्रदर्शनकारियों को लोक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए।”

बयान में कहा गया है कि इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए, सरकार के स्तर पर प्रधानमंत्री ने वार्ता समिति का विस्तार करने का फैसला किया है।” पीओके के प्रधानमंत्री चौधरी अनवार-उल-हक और संघीय मंत्री तारिक फजल चौधरी ने जेकेजेएएसी को नए सिरे से बातचीत के लिए बुधवार को आमंत्रित किया था।

जेकेजेएएसी ने मांगे पूरी नहीं होने पर हड़ताल का आह्वान किया था

जेकेजेएएसी ने मांगे पूरी नहीं होने पर हड़ताल का आह्वान किया था जिसके दौरान प्रतिद्वंद्वी समूहों ने भी एक साथ विरोध प्रदर्शन किए। बुधवार को मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, मुजफ्फराबाद में दुकानें, होटल और व्यावसायिक केंद्र बंद रहे जबकि सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद रहा। खबरों में कहा गया कि स्कूल आधिकारिक तौर पर खुले थे लेकिन छात्र घर पर ही रहे। जेकेजेएएसी ने 38-सूत्रीय मांगें जारी की थी जिसमें शरणार्थियों के लिए 12 आरक्षित सीटों को समाप्त करने और कुलीन वर्ग के विशेषाधिकारों को वापस लेने की मांग शामिल थी। चौधरी ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा था कि समिति की 90 प्रतिशत मांगें पहले ही स्वीकार कर ली गई हैं।

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(भाषा के इनपुट के साथ)