पाकिस्तान दुनियाभर में सबसे अधिक मौत की सजा सुनाने वाले देशों में से एक है। वैश्विक स्तर पर मौत की सजा का सामना कर रहे कैदियों में 26 प्रतिशत पाकिस्तान में हैं। एक गैर सरकारी संगठन द्वारा बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

कानूनी कार्रवाई समूह ‘जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान’ (जेपीपी) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि 2024 में कुल 6,161 कैदी मौत की सजा का सामना कर रहे हैं जबकि 2023 में यह संख्या 6,039 थी। यह संख्या पहले के मुक़ाबले बहुत बढ़ गयी है, जब 2022 में मौत की सजा का सामना कर रहे लोगों की संख्या 3,226 थी।

लाहौर के गैर सरकारी संगठन ने 22 वें विश्व मृत्युदंड विरोधी दिवस पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट का तीसरा संस्करण जारी किया है, जिसका शीर्षक है ‘पाकिस्तान में मृत्युदंड : मृत्युदंड का डेटा विश्लेषण’। जिसमें बताया गया है कि पाकिस्तान में मौत की सजा पाने वाले कैदियों की सबसे अधिक संख्या 2,505 पंजाब प्रांत में है, जिसके बाद 2,311 कैदी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हैं।

दुनियाभर में मौत की सजा पाने वाले कैदियों में 26 प्रतिशत पाकिस्तान में

जेपीपी के आंकड़ों में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर मौत की सजा का सामना कर रहे कैदियों में 26 प्रतिशत पाकिस्तान में हैं। गैर सरकारी संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 2004 से अब तक पाकिस्तान में कम से कम 4,500 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है, यानी औसतन प्रत्येक दिन एक व्यक्ति को अदालत ने यह सजा सुनाई। दुनिया भर में, अदालतों द्वारा मौत की सजा सुनाये जाने वाला हर सातवां व्यक्ति पाकिस्तानी है जबकि मृत्युदंड पाने वाला हर आठवां व्यक्ति पाकिस्तानी है।

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पाकिस्तान में 31 से अधिक अपराधों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को विश्व स्तर पर मृत्युदंड का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाले देशों में से एक बताया गया है, जो एक चिंताजनक आंकड़ा है और जहां सुधार की तुरंत जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने दिसंबर 2019 के बाद से मृत्युदंड नहीं दिया है, लेकिन यह मृत्युदंड का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाले देशों में से एक है, जहां 31 से अधिक अपराधों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान है।

(इनपुट-भाषा)