पाकिस्तान में फिलहाल घमासान मचा है। आसार हैं कि इस माह के आखिर तक ये संकटग्रस्ट देश किसी समाधान की तरफ बढ़ जाए। मौजूदा दौर में पाकिस्तान की सियासत चार तरफ मुड़ती दिख रही है। आने वाले दिनों में ये बात अहम रहने वाली है कि आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा रिटायर होते हैं या नहीं। वो रिटायर होते हैं तो उनका उत्तराधिकारी कौन होगा और उसे कैसे बनाया जाएगा।

पहले सीन में बाजवा 29 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। कई मौकों पर वो खुद भी कह चुके हैं कि उनका एक्सटेंशन लेने का कोई इरादा नहीं है। हाल फिलहाल में वो सेना के कुछ प्रतिष्ठानों का दौरा करते भी देखे गए। माना जा रहा है कि बतौर जनरल ये उनके आखिरी दोरे हैं। बाजवा 1 नवंबर के बाद से ही फेयरवेल को तरजीह दे रहे हैं। हालांकि उनके उत्तराधिकारी को लेकर अभी भी सस्पेंस कायम है। माना जा रहा है कि 1 नवंबर को ही उनके उत्तराधिकारी का ऐलान होगा। कुछ लोग मान रहे हैं कि नाम तय हो चुका है।

इमरान खान सहमति से नए आर्मी चीफ का नाम तय करने की वकालत करते आ रहे हैं। लेकिन पाकिस्तानी पीएम शाहबाज शरीफ उनकी मांग के सामने झुकने को तैयार नहीं। हालांकि इस बात को लेकर भी दुविधा है कि इमरान खान अगर अपनी पसंद के अफसर को आर्मी चीफ बनवा देते हैं तो वो उनका कितना वफादार होगा। खुद बाजवा को 2016 में नवाज शरीफ ने आर्मी चीफ बनाया था। लेकिन उसके बाद शरीफ के खिलाफ चले मुकदमों को देख नहीं लगता कि बाजवा ने उनसे वफादारी की।

दूसरे सीन में बाजवा अपनी कुर्सी छोड़ते नहीं दिख रहे। खुद इमरान खान भी इसे बड़ा सवाल बता चुके हैं। ऐसा दो कारणों से हो सकता है। पहले में बाजवा, शरीफ और इमरान खान के बीच कोई डील मालूम पड़ती है। अपने ऊपर गोली चलने के मामले में इमरान ने पाकिस्तानी पीएम के साथ सेना के एक अफसर को भी आरोपी बनाया था। लेकिन बाजवा का नाम उसमें नहीं खींचा गया।

ऐसा लगता है कि वो बाजवा के लिए अपने दरवाजे खुले रख रहे हैं। दूसरे विकल्प में बाजवा खुद को एक्सटेंशन दे सकते हैं। लेकिन ये विकल्प सेना में असंतोष पैदा कर सकता है। सेना के कई अफसर पाकिस्तानी जनरल बनने की राह देख रहे हैं। बाजवा का एक्सटेंशन इन लोगों के बीच असंतोष पैदा कर सकता है।

तीसरे सीन में इमरान खान के लॉग मार्च के तनाव में शरीफ सरकार त्यागपत्र दे सकती है। ऐसे में केयरटेकर गवर्नमेंट पाकिस्तान की कमान संभाल सकती है। बाजवा अगले चुनाव तक अपनी भूमिका में बने रहेंगे। चुनाव जीतने के बाद बाजवा अपने घर जाएंगे और इमरान खान अपने पसंदीदा को जनरल बना देंगे।

चौथे सीन में इमरान अपने मार्च को खत्म हो जाने देंगे। उनकी जख्मी टांग इसके लिए एक बहाना बन सकती है। शरीफ सरकार अगले चुनाव तक बनी रहेगी और 2023 चुनाव कराएगी। उसके पास इकोनॉमी को स्थिर करने का भी समय रहेगा। बाजवा अपने तय समय पर रिटायर हो जाएंगे।

ऐसे हालात में शरीफ बंधुओं के साथ भुट्टो भी चाहेंगे कि सेना न केवल उनकी सरकार बचाए बल्कि चुनाव बाद भी उनको ही बनाए रखने की गारंटी दे। इमरान खान को नेशनल असेंबली से अयोग्य घोषित करना इसी दिशा में उठाया गया एक कदम दिखता है। लेकिन इसमें पाकिस्तान अस्थिर रहेगा।