पाकिस्तान और अमेरिका के बीच के संबंध बीते कुछ सालों में बेहद उतार चढ़ाव भरे रहे हैं। पाक सरकार की चीन से नजदीकी अमेरिका को रास नहीं आती। ये एक बड़ी वजह रही जो दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई को और ज्यादा चौड़ी करने वाली रही। लेकिन शहबाज शरीफ सरकार जो बाइडन प्रशासन के साथ एक नई इबारत लिखने के मूड़ में दिख रही है। उसने अमेरिका के साथ एक सुरक्षा समझौते को मंजूरी दी है।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार यह कदम दोनों देशों के बीच वर्षों के अविश्वास के बाद रक्षा सहयोग में एक नई शुरुआत का संकेत देता है। इसके बाद इस्लामाबाद के लिए वाशिंगटन से हथियार हासिल करने का रास्ता खुल सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान कैबिनेट ने अमेरिका के साथ एक नए सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है। शरीफ कैबिनेट ने पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संचार अंतर-सक्रियता और सुरक्षा समझौता (सीआईएस-एमओए) पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दी। हालांकि, समझौते पर दस्तखत करने को लेकर किसी भी पक्ष की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है। हालांकि पाकिस्तान अभी इस समझौते पर कुछ भी कहने से गुरेज कर रहा है। पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया।

अमेरिकी जनरल से पाक सेना प्रमुख की मीटिंग के बाद सुधरे थे संबंध

ध्यान रहे कि कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान और अमेरिका रक्षा क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में अपने द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तार देने के लिए सहमत हुए थे। अमेरिका की केंद्रीय कमान के प्रमुख जनरल माइकल एरिक कुरल्ला और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की बैठक में यह सहमति बनी थी। अब इस नए समझौते पर दस्तखत होने का मतलब है कि दोनों देश संस्थागत प्रणाली बनाए रखने के पक्षधर हैं।

वैसे पाकिस्तान अपने वैश्विक संबंधों को नए सिरे से गढ़ रहा है। भारत के इस पड़ोसी देश की माली हालत इतनी खराब हो चुकी है कि IMF से मिले लोन के बाद देश की अर्थव्यवस्था कुछ हद तक पटरी पर लौटी है। हालांकि अभी भी इस मुल्क को बहुत सारी सहायता की जरूरत है, क्योंकि कई मोर्चों पर उसे बहुत सा काम करना है जिससे सरकारी खजाना फिर से पुरानी रंगत में लौट सके।