भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहे पाकिस्तान ने हाफिद सईद की अगुवाई वाले जमात उद दावा और खूंखार आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क समेत दो अन्य आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है और इसके साथ ही 2008 के मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता सईद के विदेश जाने पर रोक लगा दी है।

तालिबान द्वारा पेशावर में एक सैन्य स्कूल पर तालिबान के नृशंस हमले में 136 छात्रों समेत 150 लोगों को गोलियों से भूने जाने के बाद पाकिस्तान पर अच्छे और बुरे आतंकवादियों के बीच भेद समाप्त करने के लिए पड़ रहे अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच यह कदम उठाया गया है। विदेश विभाग की प्रवक्ता तसनीम असलम ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में आज इस प्रतिबंध की पुष्टि की।

हक्कानी नेटवर्क तथा अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ यह कार्रवाई अमेरिका के भारी दबाव के बीच की गयी है लेकिन असलम ने कहा, ‘‘ पाकिस्तान ने यह फैसला संयुक्त राष्ट्र प्रतिबद्धताओं के तहत किया है (जॉन कैरी : अमेरिकी विदेश मंत्री) समेत किसी अन्य पक्ष के दबाव के चलते नहीं।’’

उन्होंने बताया कि प्रतिबंधित समूहों के बैंक खातों में लेन देन पर पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है और सईद की विदेश यात्राओं पर रोक लगा दी गयी है। रेडियो पाकिस्तान ने यह जानकारी दी है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के लिए भारत यात्रा से कुछ दिन पूर्व ही पाकिस्तान ने यह फैसला किया है।

इससे पूर्व एक पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा कि जेयूडी और कई अन्य समूहों को प्रतिबंधित करने का फैसला सरकार ने कई दिन पहले किया था और इस फैसले को लागू करने के तौर तरीकों का फैसला करने के लिए गृह मंत्रालय को कहा गया था।

मंत्रालय ने सईद के दो समूहों जेयूडी और फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) समेत चरमपंथी और आतंकवादी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के लिए उन्हें प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डालते हुए इन आदेशों का पालन किया। एफआईएफ पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा का प्रमुख चैरिटेबल संगठन है जिस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है।

सईद पर एक अरब डॉलर का ईनाम घोषित था और वह पाकिस्तान में खुले घूमता था तथा अक्सर सार्वजनिक रैलियों को संबोधित करता था जिनमें वह नियम से भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान देता था।

पाकिस्तान लगातार यह कहता आया है कि सईद के खिलाफ कोई मामला नहीं है और एक पाकिस्तानी नागरिक के रूप में वह देश में घूमने के लिए स्वतंत्र है।

भारत बार-बार पाकिस्तान से सईद को 2008 के मुंबई हमलों में उसकी भूमिका को लेकर उससे पूछताछ करने के लिए उसे भारत को सौंपे जाने की मांग करता आ रहा है। मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे।

अधिकारी ने बताया कि जिन अन्य प्रमुख समूहों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें हक्कानी नेटवर्क भी शामिल है जिसकी अफगानिस्तान में कई भीषण हमलों में भूमिका रही है। अमेरिका लंबे समय से हक्कानी और जेयूडी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता रहा है। प्रतिबंध के बाद इन सभी समूहों की संपत्तियों को सील कर दिया जाएगा।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुंबई हमलों के बाद लश्कर ए तैयबा को जेयूडी का एक मुखौटा संगठन करार दिया था। उसके बाद से संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने जेयूडी के कई नेताओं पर प्रतिबंध लगाए हैं।

जलालुद्दीन हक्कानी द्वारा स्थापित हक्कानी नेटवर्क पर वर्ष 2008 में अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास पर बमबारी करने का आरोप है जिसमें 58 लोग मारे गए थे। इसके अलावा उसने काबुल में वर्ष 2011 में अमेरिकी दूतावास को अंजाम दिया और साथ ही अफगानिस्तान में उसने कई बड़े ट्रक हमलों को भी अंजाम देने की कोशिश की।

अमेरिकी और अफगानिस्तान के अधिकारियों ने बार बार यह बात कही है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए गोपनीय तरीके से हक्कानी नेटवर्क को समर्थन देती रही है। पाकिस्तान इस आरोप से इंकार करता है। अमेरिका ने सितंबर 2012 में इस समूह को आतंकवादी संगठन का दर्जा दिया था।

पाकिस्तान ने 2002 में जेयूडी पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन आतंकवाद में समूह की संलिप्तता के सबूतों के अभाव में अदालत ने बाद में इस प्रतिबंध को हटा दिया। इस समूह को अमेरिका, यूरोपीय संघ, भारत तथा रूस ने आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित कर रखा है।