पाकिस्तान का निजाम बदल गया लेकिन हुक्मरानों के तेवर वो ही हैं। पीएम बनते ही शाहबाज शरीफ ने फिर से कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया। शहबाज शरीफ ने कहा कि हम हर मंच पर कश्मीरी भाई-बहनों के लिए आवाज उठाएंगे और कूटनीतिक कोशिश करेंगे, उन्हें कूटनीतिक समर्थन देंगे। हम उन्हें नैतिक समर्थन देंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए आगे आने को कहा ताकि दोनों देश गरीबी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर ध्यान लगा सकें।

शहबाज शरीफ ने कहा कि वो भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे के समाधान के बिना इसे हासिल नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी पसंद की बात नहीं है। यह ऐसी चीज है जिसके साथ हमें रहना है। लेकिन ये एक दुर्भाग्य है कि भारत से उनके मुल्क के रिश्ते शुरू से ही अच्छे नहीं रहे।

उन्होंने अगस्त 2019 में भारत की ओर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर गंभीर और कूटनीतिक कोशिश नहीं करने के लिए इमरान खान पर हमला किया। शरीफ ने कहा कि कश्मीर में जब जबरदस्ती अतिक्रमण किया गया और अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया तो क्या हमने गंभीर कोशिश की। हालांकि उन्होंने भारत के साथ बेहतर ताल्लुक की इच्छा व्यक्त की।

शरीफ ने कहा कि हम भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं लेकिन जब तक कश्मीर विवाद का समाधान नहीं हो जाता तब तक स्थायी शांति मुमकिन नहीं है। हालांकि पाक से संबंध बेहतर करने पर भारत ने कहा है कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है। लेकिन आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है।

गौरतलब है कि 2019 में भारत ने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। हालांकि तत्कालीन पीएम इमरान खान ने इसके खिलाफ अमेरिका तक आवाज बुलंद की लेकिन किसी भी दूसरे देश ने दखल देने में रुचि नहीं दिखाई। यहां तक कि इस्लामिक देश भी कश्मीर पर बोलने से बचते दिखे।