पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल राहील शरीफ ने भारत को चेतावनी दी है कि जंग होने पर उसे ‘‘नाकाबिल-ए-बर्दाश्त नुकसान’’ झेलना पड़ेगा और उनकी सेना ‘‘दुश्मन’’ के किसी भी दुस्साहस से निबटने के लिए तैयार है।

राहील ने 1965 की भारत-पाक जंग की 50वीं बरसी पर कल रावलपिंडी में सैन्य मुख्यालय पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम को संबोधित करते कहा,‘‘मैं फिर से बता दूं कि हमारे सशस्त्र बल सभी प्रकार के बाहरी आक्रमण को परास्त करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।’’

उन्होने कहा,‘‘अगर दुश्मन ने कभी कोई भी दुस्साहस किया, चाहे उसका आकार और पैमाना कुछ भी हो – लंबी हो या छोटी हो – उसे नाकाबिले बर्दाश्त कीमत चुकानी पड़ेगी।’’

पाकिस्तानी सेना प्रमुख की यह टिप्पणी भारतीय सेना के प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग के बयान का तीखा जवाब था जिसमें सुहाग ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारतीय सेना ‘‘भविष्य की जंगों की द्रुत, छोटी प्रकृति’’ के लिए तैयार है। राहील ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के सशस्त्र बल सभी तरह के अंदरूनी और बाहरी खतरों से निबटने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं, चाहे यह पारंपरिक हो या उप-पारंपरिक, चाहे यह कोल्ड स्टार्ट हो या हॉट स्टार्ट। हम तैयार हैं।’’

इस बार, जिक्र के केन्द्र में ‘कोल्ड स्टार्ट’ का भारत का जंग का सिद्धांत था। राहील ने कश्मीर को ‘‘बंटवारे का अधूरा एजेंडा’’ करार देते हुए कहा कि इसे संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुरूप हल किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में कश्मीर के भविष्य का फैसला करने के लिए जनमतसंग्रह का प्रावधान किया गया था।

पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने चेताया कि कश्मीर को ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता। राहील की ये टिप्पणियां भारत और पाकिस्तान की सीमा पर बढ़े तनाव और नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच गोलीबारी के बीच आई हैं।

राहील ने पाकिस्तान में आतंकवादियों के समूचे नेटवर्क को ध्वस्त करने का भी वादा किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह संकल्प दोहराता हूं कि हम तब तक शांत नहीं बैठेंगे जब तक सभी आतंकवादी, उनका वित्तपोषण करने वाले, उनको उकसाने वाले, उनके मददगार और हमदर्दो को इंसाफ के कठघरे तक नहीं लाया जाता।’’

उन्होंने शांति लाने में अफगानिस्तान की मदद करने का आश्वासन दिया और कहा कि पाकिस्तान ने ‘‘अफगानिस्तान में शांति लाने के लिए समन्वित एवं ईमानदाराना कोशिशें की लेकिन कुछ वैमनस्यकारी शक्तियां हमारे प्रयासों को कमजोर बनाने पर तुली हैं।’’