पाकिस्तान की सेना ने एक बार फिर भारत को लेकर अपने पारंपरिक रुख में बदलाव की ओर इशारा किया है। एक दिन पहले ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के भाषण से यह बात काफी हद तक साफ भी हो गई। दरअसल, उन्होंने यहां इस्लामाबाद सुरक्षा वार्ता में अपने भाषण के दौरान कहा कि यह भारत और पाकिस्तान के लिए ‘अतीत को भूलने और आगे बढ़ने’ का समय है। उन्होंने कहा कि इससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच शांति से दक्षिण और मध्य एशिया में विकास की संभावनाओं को खोलने में मदद मिलेगी।
जनरल बाजवा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि विवादों की वजह से क्षेत्रीय शांति और विकास की संभावना अनसुलझे मुद्दों के कारण हमेशा बंधक रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह समय अतीत को भूलने और आगे बढ़ने का है।’’ उन्होंने भाषण में यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण बातचीत के लिए जरूरी है कि नई दिल्ली की ओर से कश्मीर मुद्दे पर अनुकूल माहौल बनाया जाए। हालांकि, उन्होंने इस पर ज्यादा विस्तार से चर्चा नहीं की।
भारत ने दी थी नसीहत: गौरतलब है कि भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, बैर और हिंसा मुक्त माहौल के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध की आकांक्षा करता है। भारत ने कहा था कि इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है कि वह आतंकवाद और शत्रुता मुक्त माहौल तैयार करे।
पाक आर्मी चीफ ने नहीं किया अनुच्छेद 370 का जिक्र: जनरल बाजवा ने कहा, ‘‘हमारे पड़ोसी को विशेष रूप से कश्मीर में एक अनुकूल वातावरण बनाना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इनमें सबसे अहम मुद्दा कश्मीर का है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि शांतिपूर्ण तरीकों के माध्यम से कश्मीर विवाद के समाधान के बिना इस क्षेत्र में शांति की कोई भी पहल सफल नहीं हो सकती है।’’ चौंकाने वाली बात यह रही कि पाकिस्तान के बाकी नेताओं की तरह बाजवा ने अपने भाषण में यूएन सुरक्षा परिषद के कश्मीर पर प्रस्ताव की चर्चा नहीं की। न ही उन्होंने 5 अगस्त 2019 को राज्य की स्थिति में हुए बदलाव पर वापसी की मांग उठाई।
‘दक्षिण-मध्य एशिया को खोलने के लिए भारत-पाक का साथ जरूरी’: जनरल बाजवा ने कहा कि पूर्व और पश्चिम एशिया के बीच संपर्क सुनिश्चित करके ‘‘दक्षिण और मध्य एशिया की क्षमता को खोलने के लिए’’ भारत और पाकिस्तान के बीच शांति का माहौल होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा, “यह समझना जरूरी है कि कश्मीर विवाद का शांतिपूर्ण ढंग से हल निकाले बिना उपमहाद्वीप में मेल-मिलाप के हमेशा पटरी से उतरने की संभावना रहेगी।” उन्होंने इसके लिए राजनीतिक हितों को वजह बताया। हालांकि, बाजवा ने यह भी कहा कि किसी भी तरह की सफल बातचीत के लिए भारत की तरफ से कश्मीर मुद्दे पर अनुकूल वातावरण बनाना जरूरी है।
पीएम इमरान खान भी दे चुके हैं बयान: जनरल बाजवा के बयान से एक दिन पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसी स्थान पर यही बयान दिया था। खान ने बुधवार को कहा था कि उनके मुल्क के साथ शांति रखने पर भारत को आर्थिक लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा था कि इससे भारत को पाकिस्तानी भू-भाग के रास्ते संसाधन बहुल मध्य एशिया में सीधे पहुंचने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा था, ‘‘भारत को पहला कदम उठाना होगा। वे जब तक ऐसा नहीं करेंगे, हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं।’’
