Ukraine on India importing oil from Russia: यूक्रेन ने एक भावुक अपील करते हुए कहा, “भारत जो तेल रूस से खरीद रहा है उसकी हर बूंद में हमारा खून मिला है।” यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने बुधवार को यह बयान देते हुए अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि रूस पिछले छह महीनों से यूक्रेन पर हमला कर रहा है और भारत लगातार रूस से तेल आयात कर रहा है।
उन्होंने कहा, “युद्ध के दौरान भारतीय छात्रों को सुरक्षित उनके देश भेजने में हमने मदद की थी। ऐसे में हमें भी भारत की ओर से यूक्रेन को मजबूत समर्थन की उम्मीद थी।” भारतीय तेल कंपनियों ने मई में रूस से 2.5 करोड़ बैरल तेल का आयात किया।
यूक्रेन पर रूस ने 24 फरवरी को हमला कर दिया था, जिसके बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने उस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे। भारत ने पश्चिमी देशों की आलोचना के बावजूद रूस से यूक्रेन युद्ध के बाद तेल आयात बढ़ाया है और उसके साथ व्यापार जारी रखा है। रूस मई में सऊदी अरब को पीछे छोड़कर भारत का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया था। इराक भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “हमने कभी अपने रुख का बचाव नहीं किया”
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि रूस से तेल खरीदने के भारत के फैसले की अमेरिका और दुनिया के अन्य देश भले ही सराहना न करें, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है, क्योंकि नई दिल्ली ने अपने रुख का कभी बचाव नहीं किया, बल्कि उन्हें यह एहसास कराया कि तेल एवं गैस की ‘‘अनुचित रूप से अधिक’’ कीमतों के बीच सरकार का अपने लोगों के प्रति क्या दायित्व है।
जयशंकर भारत-थाईलैंड संयुक्त आयोग की नौवीं बैठक में भाग लेने के लिए मंगलवार को बैंकाक पहुंचे और एक समारोह में उन्होंने भारतीय समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की। इस दौरान यूक्रेन एवं रूस के मध्य जारी युद्ध के बीच, रूस से कम दाम पर तेल खरीदने के भारत के फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के कई आपूर्तिकर्ताओं ने अब यूरोप को आपूर्ति करना शुरू कर दिया है, जो रूस से कम तेल खरीद रहा है। उन्होंने कहा कि तेल की कीमत ‘‘अनुचित रूप से अधिक’’ हैं और यही हाल गैस की कीमत का है। उन्होंने कहा कि एशिया के कई पारंपरिक आपूर्तिकर्ता अब यूरोप को आपूर्ति कर रहे हैं, क्योंकि यूरोप रूस से कम तेल खरीद रहा है।
जयशंकर ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘आज स्थिति ऐसी है कि हर देश अपने नागरिकों के लिए सर्वश्रेष्ठ सौदा करने की कोशिश करेगा, ताकि वह इन उच्च कीमतों का असर झेल सके और हम यही कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत ‘‘रक्षात्मक तरीके’’ से ऐसा नहीं कर रहा है। जयशंकर ने कहा, ‘‘हम अपने हितों को लेकर बहुत खुले एवं ईमानदार रहे हैं। मेरे देश में प्रति व्यक्ति आय दो हजार डॉलर है। ये लोग ऊर्जा की अत्यधिक कीमत को वहन नहीं कर सकते।’’
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना सरकार का ‘‘दायित्व’’ एवं ‘‘नैतिक कर्तव्य’’ है कि भारत के हित सर्वोपरि हो। रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि न केवल अमेरिका बल्कि अमेरिका समेत सभी जानते हैं कि हमारी क्या स्थिति है और वे इस बारे में अब आगे बढ़ चुके हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब आप खुलकर और ईमानदारी से अपनी बात रखते हैं, तो लोग उसे स्वीकार कर लेते हैं।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘वे हमेशा संभवत: उसकी सराहना नहीं करेंगे, लेकिन जब आप बात करते हैं और चालाकी करने की कोशिश नहीं करते, जब आप बिल्कुल सीधे तरीके से अपने हित सामने रखते हैं, तो मुझे लगता है कि दुनिया वास्तविकता को काफी हद तक स्वीकार कर लेती है।’’ (PTI इनपुट के साथ)