Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में राजनीतिक और आर्थिक हालात अभी भी ठीक नहीं हैं। शेख हसीना को सत्ता से बेदखल हुए एक साल हो चुके हैं, आज ही के दिन 5 अगस्त 2024 को छात्रों के एक हिंसक विरोध प्रदर्शन ने शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। अब इस समय हसीना भारत में हैं लेकिन बांग्लादेश में हालात ठीक नहीं चल रहे हैं। मोहम्मद यूनुस ने वहां पर एक अंतरिम सरकार का गठन जरूर किया है, लेकिन इस्लामिक कट्टरवाद, महिलाओं के खिलाफ बढ़ता अत्याचार, हिंदुओं पर होते हमले बड़ी चुनौती बने हुए हैं।

एक्सपर्ट्स बांग्लादेश के बारे में क्या बता रहे?

ह्यूमन राइट्स वॉच की डिप्टी एशिया डायरेक्टर मीनाक्षी गांगुली कहती हैं कि उन हजारों बहादुरों की उम्मीद टूटी है जो हिंसा के बीच शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने में सक्रिय रहे थे, लोकतंत्र का सपना अधूरा रह गया है। वैसे जिन छात्रों ने शेख हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, उसमें अब्दुल रहमान तारिफ का नाम भी था। लेकिन अब उनके पास भी कुछ नहीं बचा है, उन्होंने उस विरोध प्रदर्शन में अपनी बहन को गंवाया है।

उन दिनों को याद करते हुए वे कहते हैं कि हम अपने घर पर नहीं गए थे, बस हर कीमत पर शेख हसीना को हटाना चाहते थे। हम ऐसा देश चाहते थे जहां पर कोई भेदभाव ना हो, किसी के साथ अन्याय ना हो। लेकिन वो सभी उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं, हम चाहते थे बदलाव हो, लेकिन अब हम ही लोग परेशान हैं।

मोहम्मद यूनुस की क्या चुनौतियां?

वहीं बात अगर मोहम्मद यूनुस की करें तो उनकी अंतरिम सरकार कई बड़े रिफॉर्म पर काम कर रही थी, कोशिश थी कि चुनावी प्रक्रिया को बदला जाए और उले ज्यादा पारदर्शी किया जाए। लेकिन जिन रिफॉर्म की बात मोहम्मद यूनुस कर रहे थे, उन्हीं को लेकर राजनीतिक दलों के बीच में आम सहमति नहीं बन पाई। शेख हसीना के समर्थक तो आरोप लग रहे हैं कि उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र के तहत हमले हो रहे हैं।

शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी की मानें तो दो दर्जन से भी ज्यादा हमलों में उनके कई कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं। वैसे आवामी लीग की सबसे बड़ी विरोधी माने जाने वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी भी मोहम्मद यूनुस की सरकार से खुश नहीं है। बीएनपी जल्द से जल्द चुनाव चाहती है, लेकिन मोहम्मद यूनुस कुछ रिफॉर्म के बिना आगे नहीं बढ़ना चाहते।

पत्रकार भी बांग्लादेश में सुरक्षित नहीं

एक रिपोर्ट तो यहां तक बताती है कि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में पत्रकार भी सुरक्षित नहीं हैं। पिछले 1 वर्ष में पत्रकारों पर हुए हमलों की संख्या 230 प्रतिशत बढ़ गई है। इसी कड़ी में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश यानी कि टीआईबी की एक रिपोर्ट कहती है कि मोहम्मद यूनुस की सरकार में राजनीतिक हिंसा की कुल 471 घटनाएं हुई हैं और इन हमलों में 121 लोग मारे गए।

हिंदुओं पर एक साल में कई बार हमला

वैसे दैनिक भास्कर की रिपोर्ट बताती है कि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार बनने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर भी हमले काफी ज्यादा बढ़ चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार 4 अगस्त 2024 से से जुलाई 2025 के बीच में हिंदुओं पर 2442 बार हिंसक घटनाएं हुई हैं। जब से बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ है, 157 परिवार प्रभावित हुए हैं और 69 बार मंदिरों पर भी हमला किया गया है। इसके ऊपर बांग्लादेश इसी एक साल में भारत के साथ भी अपने रिश्ते काफी खराब किए हैं। एक तरफ हिंदुओं पर हो रहे हमलों ने तनाव को बढ़ाया है, इसके ऊपर मोहम्मद यूनुस की चीन के साथ बढ़ती नजदीकियों ने भी कई सवाल खड़े किए हैं।

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JULHAS ALAM के इनपुट के साथ