उत्तर कोरिया ने बुधवार को दावा किया कि उसने हाइड्रोजन बम का ‘सफल’ परीक्षण किया। यह उत्तर कोरिया का एक हैरान कर देने वाला कदम है। अगर उसके इस दावे की पुष्टि हो जाती है तो यह प्योंगयांग के अभी तक सीमित परमाणु शस्त्रागार में सुधार की दिशा में उसकी एक बड़ी छलांग होगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस परीक्षण की घोर निंदा की है।

एक टेलीविजन प्रस्तोता ने प्रचार करने के अंदाज में बयान देते हुए कहा कि उत्तर कोरिया ने देश की ‘परमाणु शक्ति को अगले स्तर पर ले जाते हुए’ एक ‘छोटे आकार’ के हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है और अमेरिका व अन्य शत्रुओं से रक्षा के लिए देश को एक हथियार मुहैया कराया है। बयान में कहा गया कि यह परीक्षण ‘पूर्णत: सफल’ रहा और इस घोषणा के बाद प्योंगयांग की गलियों में जश्न मनाया गया।

दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क गेयुन हे ने सेना को अमेरिकी बलों के साथ अपनी संयुक्त रक्षा स्थिति को मजबूत करने का आदेश दिया और इस परीक्षण को ‘गंभीर उकसावा’ और ‘हमारे जीवन और भविष्य को खतरा पैदा करने वाला कृत्य’ करार दिया। वाशिंगटन और परमाणु विशेषज्ञ हाइड्रोजन बमों के बारे में उत्तर कोरिया के पूर्व में किए गए दावों पर संदेह जताते आए हैं। ये बम परमाणु बमों की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली होते हैं और उन्हें बनाना भी अधिक मुश्किल होता है।

रेंड कॉरपोरेशन में एक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ बू्रस बेनेट ने बीबीसी से कहा, यह हथियार संभवतया अमेरिका के हिरोशिमा बम के आकार का था। लेकिन यह एक हाइड्रोजन बम नहीं था। यह विखंडन तकनीक पर आधारित था। बेनेट ने कहा, इससे जो विस्फोट होता वह इस विस्फोट से 10 गुणा अधिक जोरदार होता। कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में परमाणु नीति कार्यक्रम के सह निदेशक जेम्स एक्शन ने ट्वीट किया कि इससे जो अनुमानित ऊर्जा निकली, उसे देखते हुए इस बात की संभावना नहीं लगती कि यह वास्तव में दूसरे चरण का थर्मोन्यूक्लियर बम था।

यह परीक्षण उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग के जन्मदिन के मात्र दो दिन पहले किया गया। इस परीक्षण की घोषणा किए जाने से पहले अंतरराष्ट्रीय भूकंप विज्ञान परिवीक्षकों ने उत्तर कोरिया के पूर्वोत्तर में देश के प्रमुख पुंगये री परमाणु स्थल के निकट 5.1 भूकम्प दर्ज किए जाने की सूचना दी थी। अधिकतर विशेषज्ञों का मानना था कि प्योंगयांग एक थर्मोन्यूक्लियर विस्फोट विकसित करने से वर्षों दूर है जबकि इस बात के मूल्यांकन में मतभेद था कि उसने एक बैलिस्टिक मिसाइल में फिट हो सकने में सक्षम किसी उपकरण को छोटा आकार देने की तकनीक में कितना विकास किया है।

यह उत्तर कोरिया का चौथा परमाणु परीक्षण था, फिर भले ही यह हाइड्रोनज बम का परीक्षण था या नहीं। उत्तर कोरिया ने इससे पहले वर्ष 2006, वर्ष 2009 और वर्ष 2013 में परीक्षण किए थे जिसके बाद उस पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगाए थे। प्रतिबंधों के चौथा परीक्षण रोक पाने में नाकाम रहने के बाद सुरक्षा परिषद पर इस बात का दबाव बढ़ जाएगा कि वह इस बार और कड़े कदम उठाए।

इस परीक्षण के बाद विशेष रूप से अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के सामने चुनौती पैदा हो गई है जिन्होंने 2014 में दक्षिण कोरिया की अपनी यात्रा के दौरान उत्तर कोरिया को ‘अछूत देश’ करार दिया था और संकल्प लिया था कि अगर प्योंगयांग और परीक्षण करता है तो उसके खिलाफ और कड़े कदम उठाए जाएंगे।

इस परीक्षण के संबंध में उत्तर कोरिया के आर्थिक और राजनयिक संरक्षक चीन की प्रतिक्रिया अहम होगी। बीजिंग ने अमेरिका के नेतृत्व में देशों को पहले भी प्योंगयांग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से रोका है। लेकिन परीक्षण रोकने से उसके इनकार के बाद चीन ने अपनी बढ़ती हताशा भी जाहिर की है।

चीन उत्तर कोरिया में निरस्त्रीकरण के लिए छह पक्षीय सहायता वार्ता को फिर से शुरू करने पर जोर देता रहा है। चीन का कहना है कि प्योंगयांग के साथ वार्ता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, अमेरिका, चीन, जापान और रूस की संलिप्तता वाली इस छह पक्षीय वार्ता प्रक्रिया पर वर्ष 2007 से अनिश्चितता की स्थिति बनी हुर्ह है और चौथा परमाणु परीक्षण करने के निर्णय के साथ प्योंगयांग के आगे बढ़ने के बाद इस प्रक्रिया के आगे बढ़ने की संभावनाएं लगभग समाप्त हो गई हैं।

उत्तर कोरिया ने 2013 में परमाणु परीक्षण के बाद अपने योंगब्योन परिसर में उस प्लूटोनियम संयंत्र को फिर से शुरू कर दिया था जिसे उसने निरस्त्रीकरण के लिए सहायता समझौते के तहत 2007 में बंद कर दिया था। योंगब्योन संयंत्र एक वर्ष में छह किलोग्राम प्लूटोनियम उत्पादन की क्षमता रखा है जो कि एक परमाणु बम बनाने के लिए काफी है। ऐसा माना जाता है कि उत्तर कोरिया के पास अभी इतना प्लूटोनियम है जिससे छह बम बनाए जा सकते हैं।

इस बीच पता चला है कि उत्तर कोरियाई नेता किम जांग उन ने तीन सप्ताह पहले आदेश पर व्यक्तिगत रूप से हस्ताक्षर करके प्योंगयांग को नवीनतम परमाणु परीक्षण के लिए अधिकृत किया था। सरकारी टेलीविजन पर इस समाचार का प्रसारण किया गया जिसमें किम के शुरुआती हस्ताक्षर वाले 15 दिसंबर के आदेश की प्रति भी दिखाई गई।

किम ने अपने हस्ताक्षर के साथ हस्तलिखित संदेश में लिखा, वर्ष 2016 की शुरुआत हमारे पहले हाइड्रोजन बम विस्फोट की जोरदार आवाज के साथ की जाए, ताकि पूरा विश्व हमारे समाजवादी, परमाणु हथियार संपन्न गणतंत्र और महान ‘वर्कर्स पार्टी आफ कोरिया’ को देखे।

टेलीविजन पर तीन जनवरी का दूसरा आदेश भी दिखाया गया जिसमें किम ने छह जनवरी को परीक्षण के लिए अपनी अंतिम मंजूरी दी। दिसंबर 2011 में पिता किम जांग द्वितीय के निधन के बाद किम ने जिम्मेदारी संभाली थी। उनकी अगुवाई में देश फरवरी 2013 में तीसरा परमाणु परीक्षण कर चुका है।

उधर दक्षिण कोरिया के एक सांसद ने कहा है कि देश की खुफिया एजंसी ने निजी तौर पर उनको बताया है कि जिस तरह से कम तीव्रता का भूकम्प महसूस किया गया उससे यह लगता है कि उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण नहीं किया होगा। सांसद ली चोएल वू ने कहा कि राष्ट्रीय खुफिया सेवा ने उनसे कहा है कि विस्फोटक का अनुमानित वजन छह किलोटन था और इसके बाद जो भूकम्प आया उसकी तीव्रता 4.8 थी। उनके अनुसार साल 2013 के परमाणु परीक्षण के दौरान 7.9 किलोटन वजन का विस्फोटक था और उस समय भूकंप की तीव्रता 4.9 थी।