प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जर्मनी जा रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से मची उथल-पुथल के बीच इस शिखर सम्मेलन के एजेंडे को लेकर बहुत सारी अटकलें भी लगाई जा रही हैं। G-7 शिखर सम्मेलन जर्मनी के प्रसिद्ध श्लोस एलमाऊ होटल में होने जा रहा है ऐसे में सबकी निगाहें इस होटल पर भी है जहां पीएम मोदी रुकने वाले हैं। श्लोस एलमाऊ होटल अपनी विशेषताओं को लेकर सुर्खियों में बना रहता है। तो आइए हम आपको बताते हैं श्लोस एलमाऊ होटल के बारे में जहां पीएम मोदी रुकने वाले हैं। जर्मनी की न्यूज वेबसाइट डीडब्ल्यू ने इस होटल की विशेषताओं के बारे में काफी बातें बताईं जो शायद ही किसी और मालूम हो।
इस होटल की विशेषताओं की बात करें तो सबसे बड़ी विशेषता ये है इसकी लोकेशन। वैसे तो हर रीयल स्टेट के बारे में यही कहा जाता है कि लोकेशन अहम होती है लेकिन जब बात एलमाऊ कासल की आती है तो ये हर एक मानक पर बिलकुल खरा उतरता है। ये ऑस्ट्रिया की सीमारेखा पर पास दक्षिण जर्मनी में म्युनिख से महज 100 किलोमीटर की दूर पर स्थित है। ये खूबसूरत अल्पास पहाड़ों के बीच में बसा है। वैसे तो पहाड़ों की खूबसूरती के बीच ऐसे होटल में रुकना अपने आप में स्वप्न जैसा बना देता है।
जानिए क्या है इस होटल का इतिहास?
इस होटल का निर्माण 1914 और 1916 के बीच बिल्डर जोहान्स मुलर द्वारा किया गया था, जिसका इस पर बड़ा प्रभाव पड़ा था। धर्मशास्त्री, लेखक और दार्शनिक की नाज़ी सरकार के प्रति मिश्रित भावनाएं थीं। वह यहूदी-विरोधी के मुखर विरोधी थे जबकि अभी भी मानते थे कि एडॉल्फ हिटलर एक “ईश्वर द्वारा भेजा गया नेता था।” द्वितीय विश्व युद्ध के बाद “भाषण और लेखन में हिटलर का महिमामंडन” और अमेरिकी सेना के लिए मुलर को मित्र राष्ट्रों द्वारा निंदात्मक परीक्षणों में दोषी पाया गया था। जिसके बाद अमेरिकी सेना ने इस होटल पर कब्जा कर लिया। साल 1961 में मुलर के बच्चों ने 1961 में अपने पिता की सजा के खिलाफ एक सफल अपील के बाद इस होटल का स्वामित्व फिर से हासिल कर लिया था। जोहान्स मुलर के पोते, डायटमार मुलर-एलमौ इस होटल के मौजूदा मालिक हैं।
इस होटल में कोई एसी और प्लास्टिक नहीं है
श्लोस एलमाऊ होटल में एयर कंडीशन नहीं लगे हैं। हालांकि ये एक उच्च स्तर होटल के लिए बहुत ही दुर्लभ बात है। हालांकि, निर्जन स्थान होने की वजह से ये जगह वैसे ही प्रदूषण मुक्त ठंडे माहौल में है। अगर यहां के तापमान की बात करें तो यहां पर बहुत ही कम तापमान में बदलाव आता है जिसकी वजह से यहां एसी की जरूरत नहीं है। ठंडी पहाड़ी हवा के अलावा यहां बिल्कुल भी एयर कंडीशनिंग नहीं है।
होटल के मुख्य हिस्से का नाम द हाइडअवे
इस होटल के मुख्य हिस्से का नाम द हाइडअवे है जिसका मतलब है छिपने की जगह। इस होटल में धूप का आना या फिर ना आना यहां ज्यादा महत्व नहीं रखता है। ऐसा इसलिए आपको धूप के बिना भी होटल में बैठकर दूर तक फैले घास के मैदानों के मनोर दृश्य दिखाई देते हैं। होटल में आए मेहमानों के लिए जगह-जगह छतरियां और बेंच भी लगाए गए हैं। कई जगहें ऐसी भी हैं जो अपने इस नाम द हाइडअवे को भी चरितार्थ करता है जहां से आप छिपकर आराम से लोगों पर नजरें बनाए रख सकते हैं।
श्लोस एलमाऊ में कभी भीड़ इकट्ठा नहीं हो पाती है
श्लोस एलमाऊ में जिस हिस्से को हाइडअवे का नाम दिया गया है वो वाकई छिपने की ही जगह है। इस होटल में कभी भी भीड़ इकट्ठा नहीं हो पाती है ऐसा इस वजह से है क्योंकि यहां के महज 35 फीसदी कमरों को ही रेंट पर दिया जाता है। इस होटल में लाइब्रेरी, कपड़ों और किताबों की दुकानें भी हैं। यहां पर ज्यादातर जगहें सार्वजनिक हैं।
होटल में है शानदार कॉन्सर्ट हॉल
श्लोस एलमाऊ होटल जर्मनी के सबसे बड़े आयोजकों में से एक है यहां एक कॉन्सर्ट हॉल है जिसमें एक साल के भीतर 200 से भी ज्यादा प्रदर्शन करने वाले इवेंट्स होते हैं। इस होटल में प्रदर्शनकारी संगीतकारों को पैसा नहीं दिया जाता है। वो मुफ्त में इस होटल में रह सकते हैं। होटल की इस स्कीम को होटल ‘प्ले टु स्टे’ कहा जाता है इसके अलावा मेहमान इन कॉन्सर्ट को बिना किसी खर्च के भी देख सकते हैं।
होटल में है एक ऐतिहासिक बेंच
साल 2015 में हुई जी-7 बैठक के दौरान की एक तस्वीर काफी चर्चित हुई थी। इस तस्वीर में तत्कालीन अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जर्मनी की तत्कालीन चांसलर एंजेला मॉर्केल से बातचीत करते हुए दिखाई दे रहे थे। जिसके बाद से ये बेंच भी ऐतिहासिक हो गई है अब आने वाले मेहमान इस बेंच पर फोटो जरूर क्लिक करवाते हैं।
पूरे एलमाऊ श्लोस हर जगह नजर आते हैं हाथी
एलमाऊ श्लोस होटल के मालिक मालिक म्युलर-एलमाऊ को हाथियों से बड़ा प्यार है वो इस होटल में हर जगह चाहे वो सोफा, पर्दा, कप, कालीन जैसी जगहों पर आपको हाथी ही दिखाई देंगे। इसके पीछे का एक रोचक किस्सा है। जब इस होटल के मालिक म्युलर-एलमाऊ भारत गए थे तो एक कपड़े पर हाथी बना दिखा था और ये कपड़ा उन्होंने एक छोटी सी दुकान से खरीदा था। फिर उन्होंने हाथी के बारे में अध्ययन किया और पाया कि हाथी बुद्धिमत्ता और याददाश्त का प्रतीक होता है। तब से उन्होंने हाथी को अपने इस होटल में जगह दे दी है।