Nepal Protest: पड़ोसी राज्य नेपाल में सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाना एक हिंसक विरोध प्रदर्शन की वजह बन गया है। सोमवार को शुरू हुए Gen-Z विरोध प्रदर्शन में युवा संसद में घुस गए। पुलिस ने इस दौरान बल का प्रयोग किया। इसके चलते 19 लोगों की मौत हो गई और 400 के करीब लोग घायल हुए। मंगलवार को भी सुबह से हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस पूरे विरोध प्रदर्शन में एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है, जो कि सुदन गुरुंग का है, उन्हें युवाओं के इस आंदोलन का मुख्य नेता बताया जा रहा है।

नेपाल सरकार ने युवाओं का विद्रोह देखते हुए सोशल मीडिया पर बैन हटा दिया। इसके बावजूद विरोध प्रदर्शन नहीं थमा है। युवाओं का गुस्सा भ्रष्टाचार से लेकर दिख रहा है। इस पूरे आंदोलन को एकजुट करने का काम ‘हामी नेपाल’ नाम के संगठन (NGO) ने किया, जिसके लीडर सुदन गुरुंग हैं, जिनकी उम्र 36 साल है।

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सुदन गुरंग की आवाज पर एकजुट हुए लाखों युवा

सुदन गुरुंग की आवाज पर नेपाल के लाखों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों में 19 लोग मारे गए जबकि 400 से अधिक घायल हुए लेकिन नेपाल के युवा अपनी मांगों से टस से मस नहीं हुए। पहले नेपाल के गृहमंत्री फिर कृषि मंत्री और फिर स्वास्थ्य मंत्री ने इस्तीफा दे दिया।

सुदन गुरुंग के बारे में बात करें तो पहले इवेंट मैनेजमेंट का काम करते थे और राजनीतिक पार्टियों के लिए काम करते थे। साल 2015 में नेपाल में आए भूकंप ने उनकी लाइफ चेंज कर दी। सुदन गुरुंग ने मानवता के कामों में खुद को झोंक दिया और हामी नेपाल की स्थापना की और एक एक्टिविस्ट बन गए।

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कैसे भेजा अपने समर्थकों को संदेश?

सुदन गुरुंग का संगठन 2015 से सक्रिय था लेकिन इसका रजिस्ट्रेशन 2020 में हुआ था। हामी नेपाल के सुदन गुरुंग ने नेपो बेबीज और देश के कुलीन वर्ग को निशाने पर लिया। 8 सितंबर के आंदोलन के लिए आह्वान करते हुए सुदन गुरुंग ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा, ‘भाइयों और बहनों। 8 सितंबर वो दिन है, जब नेपाल के युवा उठेंगे और कहेंगे कि अब पर्याप्त हो गया। ये हमारा समय है, हमारी लड़ाई है और ये हम युवाओं से ही शुरू होगी।”

गिर गई केपी शर्मा ओली की सरकार

सुदन गुरुंग ने कहा कि हम अपनी आवाज उठाएंगे, मुट्ठियां भीचेंगे, हम एकता की ताकत दिखाएंगे, उनको अपनी शक्ति दिखाएंगे जो नहीं झुकने का दंभ भरते हैं। इस पोस्ट ने नेपाल के युवाओं में जोश भर दिया और 8 सितंबर को युवाओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया, जो कि अब केपी शर्मा ओली की सरकार गिरने की अहम वजह बन गया। उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है।