नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को संसद में आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया। एक हफ्ते पहले उन्होंने नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। केपी शर्मा ओली को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 188 वोट मिले, जो विश्वास मत जीतने के लिए जरूरी वोटों से अधिक है। हालांकि केपी शर्मा ओली भारत के साथ नेपाल के रिश्तों को कैसे आगे बढ़ाएंगे, यह बात गौर करने वाली होगी। केपी शर्मा ओली की चीन के साथ दोस्ती जगजाहिर है।

30 दिनों के अंदर हासिल करना था विश्वास मत

72 वर्षीय कम्युनिस्ट नेता केपी शर्मा ओली ने बीते सोमवार को चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। केपी शर्मा के मंत्रिमंडल में 21 सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली। नेपाल के संविधान के अनुसार केपी शर्मा ओली को शपथ लेने के 30 दिनों के भीतर संसद से विश्वास मत हासिल करना जरूरी था।

इससे पहले अपनी सरकार में विश्वास मत हासिल करने के लिए प्रस्ताव पेश करते हुए केपी शर्मा ओली ने इस महीने की शुरुआत में नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच हुए सात सूत्रीय समझौते को सार्वजनिक किया। केपी शर्मा ओली ने कहा कि दोनों प्रमुख दलों के बीच समझौता देश के ज्वलंत मुद्दों को सुलझाने के लिए दो सबसे बड़ी पार्टियों के प्रयासों का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “हम अपनी विचारधाराओं में प्रतिस्पर्धा करते हैं, लेकिन कांग्रेस और यूएमएल के बीच सहयोग के उदाहरण भी हैं।”

केपी शर्मा ओली ने कहा, “यह उस सहयोग की निरंतरता है। हम राष्ट्रीय हितों की रक्षा, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, शासन में सुधार, विकास गतिविधियों में तेजी लाने और जनता की इच्छा के अनुसार राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं। हमारी सरकार न तो भ्रष्टाचार को बर्दाश्त करेगी और न ही इसे होने देगी। सरकार सुशासन के लिए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेगी।”

भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं- केपी शर्मा ओली

सदन के सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर प्रतिक्रिया देते हुए केपी शर्मा ओली ने कहा, “मैं भ्रष्टाचार में शामिल नहीं था और न ही कभी रहूंगा और अगर कोई ऐसा करता है तो मैं उसे बर्दाश्त नहीं करूंगा।” सत्तारूढ़ गठबंधन नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी और जनता समाजवादी पार्टी नेपाल के प्रतिनिधि सभा के सदस्य उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने केपी शर्मा ओली के विश्वास मत प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। विपक्षी दलों सीपीएन-माओवादी सेंटर, सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने फ्लोर टेस्ट के दौरान केपी शर्मा ओली के खिलाफ मतदान किया।