नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ”प्रचंड” के साथ लंबे समय से चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच रविवार को अचानक संसद भंग करने की सिफारिश कर दी। सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्थायी समिति के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि ओली की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आपात बैठक में राष्ट्रपति से संसद की प्रतिनिधि सभा को भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया गया। ताजा जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने ओली के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है।

2017 में निर्वाचित प्रतिनिधि सभा या संसद के निचले सदन में 275 सदस्य हैं। पीएम ओली के संसद भंग करने की खबर सबसे पहले नेपाली अखबार ‘काठमांडू पोस्ट’ के जरिए सामने आई। अखबार ने ऊर्जा मंत्री वर्षमान पून के हवाले से छापा था कि मंत्रिमंडल ने शनिवार को हुई बैठक के बाद राष्ट्रपति से संसद भंग करने की सिफारिश करने का फैसला किया है।”

प्रधानमंत्री ओली मंत्रिमंडल के निर्णय के साथ राष्ट्रपति भवन पहुंच गए। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है कि जब सत्तारूढ़ दल में आंतरिक कलह चरम पर पहुंच गई है। पार्टी के दो धड़ों के बीच महीनों से टकराव जारी है। एक धड़े का नेतृत्व प्रधानमंत्री तथा पार्टी के अध्यक्ष ओली तो वहीं दूसरे धड़े की अगुवाई पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री ”प्रचंड” कर रहे हैं।

सत्तारूढ़ एनसीपी के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल ने आज के कदम को असंवैधानिक करार दिया है। प्रचंड और माधव का धड़ा एनसीपी के दो धड़ों में आरोप-प्रत्यारोप के बीच ओली से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग कर रहा है। ओली (68) ने जून में दावा किया था कि उन्हें सामरिक रूप से महत्वपूर्ण तीन भारतीय क्षेत्रों के देश के राजनीतिक मानचित्र में दिखाने के बाद से उन्हें सत्ता से हटाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

इस बीच, संविधान विशेषज्ञों ने संसद भंग करने के कदम को असंवैधानिक करार दिया है। संविधान विशेषज्ञ दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि नेपाल के संविधान में बहुमत प्राप्त सरकार के प्रधानमंत्री द्वारा संसद को भंग किये जाने के बारे में कोई प्रावधान नहीं है। जब तक संसद द्वारा सरकार गठन की संभावना है, तब तक सदन को भंग करने के बारे में कोई प्रावधान नहीं है। इस बीच, मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस (एनसी) ने रविवार को पार्टी की आपात बैठक बुलाई है। इससे एक दिन पहले एनसी और राष्ट्रीय जनता पार्टी ने राष्ट्रपति से संसद का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया था।