नेपाल में सत्तारूढ़ गठबंधन में दरारें दिखने के साथ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार के सामने संकट पैदा हो गया। गठबंधन में शामिल यूसीपीएन-माओवादी ने पार्टी प्रमुख प्रचंड के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय एकता सरकार के गठन का फैसला किया है। यूसीपीएन-माओवादी के उच्च स्तरीय समिति की बैठक में पार्टी नेतृत्व पर प्रचंड के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय एकता सरकार के गठन की कोशिशें करने के लिए दबाव डाला गया और नेपाली कांग्रेस, मधेसी पार्टियों व दूसरे छोटे दलों से नई सरकार में शामिल होने की अपील की गई। भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाने वाले प्रचंड पूर्व में संक्षिप्त अवधि के लिए प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

प्रचंड की पार्टी के इस कदम से सीपीएन-यूएमएल के प्रमुख ओली के नेतृत्व वाली सात महीने पुरानी गठबंधन सरकार पर संकट पैदा हो गया। यूसीपीएन-एम के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि हालांकि पार्टी ने अब तक सरकार से समर्थन वापस लेने की औपचारिक घोषणा नहीं की है, गुरुवार (5 मई) को निर्धारित पार्टी की स्थायी समिति की दूसरी बैठक में इसे लेकर फैसला लिए जाने की संभावना है। वहीं यूसीपीएन-एम के वरिष्ठ नेता दीनानाथ शर्मा ने कहा कि हालांकि पार्टी ने राष्ट्रीय एकता सरकार के गठन का फैसला किया है, इस बात पर फैसला नहीं हुआ है कि नई सरकार का नेतृत्व किसे करना चाहिए। मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस भी ओली सरकार के कामकाज के तरीके से खुश नहीं है।

नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेरबहादुर देउबा ने कहा कि सरकार मुख्य विपक्षी दल को नजरअंदाज करते हुए एकतरफा रूप से महत्त्वपूर्ण पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां कर रही है। नेपाली कांग्रेस ने गठबंधन सरकार का विकल्प तलाशने की कोशिश के तहत यूसीपीएन-एम और मधेसी पार्टियों से भी संपर्क किया है। मधेसी पार्टियां भी अपनी मांगों पर ध्यान न देने के लिए ओली सरकार से नाराज हैं।