प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मंगोलिया की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान उनके मंगोलियाई समकक्ष चिमेद सैखनबिलेग से रेस के घोड़े के तौर पर विशेष तोहफा मिला। कंठक नामक घोड़ा ‘मिनी नादम’ खेल महोत्सव के दौरान भेंट किया गया। मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘कंठक के रूप में, मंगोलिया से एक उपहार।’’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘‘विशेष आगंतुक के लिए विशेष उपहार। मंगोलियाई प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री को घोड़ा भेंट किया है।’’
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने रिश्तों के नये तार जोड़ते हुए राष्ट्रपति साखियागिन एल्बेग्रदोज से तोहफे में मिली सारंगी से मिलता जुलता वहां का पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाने का प्रयास किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘‘मंगोलिया के साथ संबंधों के नये तार जुड़े। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोरिन खूर नामक इस जटिल वाद्ययंत्र को समझने का प्रयास किया।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘जापान में उन्होंने ड्रम बजाने का प्रयास किया। मंगोलिया में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोरिन खूर पर हाथ आजमाने की कोशिश की।’’
स्वरूप ने प्रधानमंत्री का वह चित्र भी जारी किया जिसमें प्रधानमंत्री काठ के बने इस वाद्य यंत्र को हाथ में पकड़कर उसे बजाने का प्रयास कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मोरिन खूर को मंगोलिया का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है और मंगोल लोगों का प्रमुख वाद्य यंत्र समझा जाता है। इसके बाद मोदी ने वाद्ययंत्र योचिन पर भी हाथ आजमाया जो 13 दोहरे तार से युक्त वाद्य उपकरण है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी एल्बेग्रदोज को 13वीं शताब्दी से जुड़े मंगोल इतिहास की पांडुलिपि के अनुरूप विशेष रूप तैयार प्रतिकृति भेंट की। इसे ‘जैमूत तवारीक’ के रूप में जाना जाता है और यह इखेनात राजा गाजन खान की वृहद परियोजनाओं में से एक था। राजा के वजीर रशीदुद्दीन फैजुल्ला हामेदनी ने फारसी में इसके बारे में लिखा है।
उत्तरप्रदेश के रामपुर स्थित रामपुर रजा पुस्तकालय में इस पांडुलिपि से संबंधित 80 सूक्ष्म चित्र मौजूद हैं।

