भारत में सबसे कम प्रति व्यक्ति गैस उत्सर्जन के बावजूद ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर भारत से सवाल करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित देशों को आड़े हाथ लिया और कहा कि भारत सितंबर में फ्रांस में होने वाले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के लिए एजेंडा तय करेगा।

मोदी ने यहां कल रात भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मुझे हैरानी है कि हमारा प्रति व्यक्ति गैस उत्सर्जन सबसे कम होने के बावजूद विश्व हमें डांट लगा रहा है।’’

उन्होंने कहा कि भारतीयों की संस्कृति और परंपरा में सदियों से प्रकृति के संरक्षण की सोच रही है और वे कई युगों से ऐसा करते आए हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘पूरी दुनिया हमसे सवाल पूछ रही है। जलवायु को बिगाड़ने वाले हमसे सवाल पूछ रहे हैं। अगर किसी ने प्रकृति का संरक्षण किया है तो वे भारतीय हैं।’’

मोदी ने कहा कि भारत ‘‘दुनिया के प्रति जवाबदेह नहीं है’’ और हम उन्हें बताएंगे कि ‘‘प्रकृति को नुकसान आपने पहुंचाया है।’’ उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत को नेतृत्व करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत सितंबर में पेरिस में आयोजित होने वाले आगामी ‘कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज’ (सीओपी) सम्मेलन के लिए एजेंडा तय करेगा।’’

भारत की परंपराओं और प्रथाओं का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि यह एकमात्र ऐसा देश है जिसने प्रकृति की सर्वाधिक सेवा की है। भारतीय लोग नदियों को मां कह कर पुकारते हैं और पेड़ों की पूजा करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रकृति का उचित उपयोग भारतीयों की सहज प्रवृत्ति है और वे (विकसित देश) हमें सिखा रहे हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण पैदा होने वाले संकट का समाधान भारत की परंपराओं और परिपाटियों में है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों से इस संबंध में योगदान देने की अपील की। उन्होंने साथ ही कहा कि भारत भी जलवायु परिवर्तन की वैश्विक समस्या का समाधान चाहता है।

मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के संबंध में सरकार की योजनाओं की बात की। उन्होंने 175 गीगावाट बिजली पैदा करने के लिए स्वच्छ और अक्षय उर्जा की बात कही। एक गीगावाट में 1000 मेगावाट होते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे पहले तक हम मेगावाट से आगे नहीं जाते थे लेकिन 10 महीने में हमने कम से कम गीगावाट के बारे में सोचना शुरू कर दिया है।’’

मोदी ने कहा कि जर्मनी को सौर उर्जा में दक्षता प्राप्त है और सौर उर्जा के क्षेत्र में भारत के साथ उसकी साझेदारी से इस तरह की उर्जा की लागत कम होने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगर अभी जलवायु परिवर्तन की समस्या से नहीं निपटा गया तो यह आने वाली पीढ़ियों को नुकसान पहुंचाएगी।