म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के एक भूकंप ने भारी तबाही मचाई, अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक 140 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, 700 से ज्यादा घायल बताए जा रहे हैं। चिंता की बात यह है कि म्यांमार में कई लोग लापता भी हैं, उनकी भूकंप के बाद से ही कोई खबर नहीं है। ऐसे में इस प्राकृतिक आपदा के बाद म्यांमार में हालात विस्फटोक बन चुके हैं, सामने से सैन्य सरकार ने दूसरे देशों से मदद मांगी है।
म्यांमार में विनाशकारी भूकंप
अब म्यांमार के लिए इस समय यह भूकंप दोहरी आफत लेकर आया है। म्यांमार एक ऐसा देश है जो पिछले कुछ सालों से गृह युद्ध झेल रहा है। यहां पर 2021 में जब से एक चुनी हुई सरकार को सेना ने हटाया है, हालात बिगड़ते चले गए हैं। कई शहरों में अभी सेना बनाम विद्रोहियों की जंग जारी है। हवाई हमले भी होते हैं और कई गांव को आग के हवाले भी कर दिया जाता है। अब अभी तक म्यांमार इस स्थिति से लड़ने की कोशिश कर रहा था, वहां की आवाम खुद को फिर खड़ा करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन इस भूकंप ने सबकुछ खत्म कर दिया।
म्यांमार के पास शव निकालने के लिए मशीन नहीं
इस बार के भूकंप की जो विनाशकारी तस्वीरें सामने आ रही हैं, वो किसी को भी डरा सकती हैं। हैरानी की बात यह है कि म्यांमार अभी कई चुनौतियों से जूझ रहा है। इस देश के पास अपने लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पर्याप्त मशीनें तक नहीं हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक रेस्क्यू अधिकारी की सबसे बड़ी चुनौती ही यही है कि उन्हें अपने हाथों से ही शव बाहर निकालने पड़ रहे हैं, तमाम अपील के बाद भी उन तक मशीनें नहीं पहुंच पा रही हैं।
रेस्क्यू टीम में प्रशिक्षण की भारी कमी
बड़ी बात यह है कि म्यांमार की सैन्य सरकार ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है, उसने भूकंप के तुरंत बाग 6 जिलों में इमरजेंसी घोषित कर दी है। इस समय रेस्क्यू का काम भी छोटे-छोटे ग्रुप्स द्वारा किया जा रहा है, प्रशिक्षण की भारी कमी देखने को मिल रही है। इसके ऊपर म्यांमार में ज्यादातर जगहों पर भारी सेंसरशिप चल रही है, ना रेडियो काम कर रहे हैं, ना न्यूज चैनल रिपोर्ट कर पा रहे, ऐसे में इस मुश्किल वक्त में जरूरी खबरों का आदान-प्रदान भी नहीं हो पा रहा है।
म्यांमार में भयंकर गरीबी
अब म्यांमार में एक और चुनौती यह है कि यहां गरीबी बढ़ती जा रही है। इस गरीबी में भूकंप का आना चुनौतियों को कई गुना बढ़ा चुका है। आंकड़े बताते हैं कि म्यांमार में इस समय आधी आबादी यानी कि 50 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। चिंता की बात यह है कि 2017 में यह आंकड़ा 24 फीसदी के करीब था, यानी कि सेना के कब्जे के बाद से हालात बद से बदतर होते चले गए हैं।
म्यांमार में सेना और विद्रोहियों का संघर्ष
अब भूकंप की मार झेल रहा म्यांमार सियासी रूप से भी कंगाल हो चुका है। असल में म्यांमार में 2021 में तख्तापलट हो गया था, लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को सेना ने हटा दिया था। तख्तापलट के खिलाफ देश में खूब बवाल हुआ, एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन भी शुरू हुआ। लेकिन सेना ने अपनी हिंसा के जरिए उस विरोध प्रदर्शन को दबाने की पूरी कोशिश की और तभी से हालात बिगड़ते चले गए।
म्यांमार में गृह युद्ध, कई गुट सक्रिय
इसी वजह से वर्तमान में म्यांमार में कई छोटे-बड़े ऐसे गुट सक्रिय हो चुके हैं जो म्यांमार में अब सैन्य शासन नहीं चाहते हैं और इसी वजह से आमने-सामने वाली स्थिति पैदा हो गई है। जानकारी के मुताबिक म्यांमार में 330 शहर हैं, लेकिन यहां भी 230 शहरों में विद्रोह की आग ऐसी फैल चुकी है कि जमीन स्थिति पूरी तरह विस्फोटक है। लोगों के पास खाने के लिए खाना नहीं है, सिर पर छत नहीं है और बड़े स्तर पर विस्थापन हुआ है।
म्यांमार का भविष्य क्या?
इस समय म्यांमार में क्योंकि कोई भी चुनी हुई सरकार नहीं है, ऐसे में जनता भी सामान्य सुविधाओं से भी वंचित हो चुकी है। उन्हें न बिजली मिल रही है और ना राशन मिल रहा है और महंगाई तो सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि जानकार मानते हैं कि म्यांमार का भविष्य भी अभी अंधकार में है। इसका बड़ा कारण यह है कि अगर सैन्य सरकार यहां से हट भी जाए तो पूरा देश इतने सारे विद्रोही संगठनों से पटा पड़ा हुआ है कि कोई भी किसी के साथ काम करने को तैयार नहीं है।