US Midterms: अमेरिका में 8 नवंबर 2022 को होने वाले मध्यावधि चुनाव में पांच भारतीय-अमेरिकी अमेरिकी रिप्रेसेंटेटिव काउंसिल की दौड़ में हैं। राजनीतिक पंडितों की राय माने तो भारतीय-अमेरिकियों की जीत की पूरी संभावना है। काउंसिल के चार मौजूदा नेताओं- अमी बेरा, राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना और प्रमिला जयपाल के फिर से चुने जाने की संभावना है। चारों डेमोक्रेटिक पार्टी से हैं।
पांचों भारतीय-अमेरिकियों में सबसे वरिष्ठ बेरा, अगर जीते तो वह कैलिफोर्निया के 7वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट से प्रतिनिधि सभा में अपना छठा कार्यकाल शुरू करेंगे। रो खन्ना, जो कैलिफोर्निया से 17वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट का प्रतिनिधित्व करते हैं, इलिनोइस के 8वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले कृष्णमूर्ति और वाशिंगटन स्टेट के 7वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट से जयपाल लगातार चौथी बार चुनाव लड़ रहे हैं।
जयपाल एकमात्र भारतीय-अमेरिकी महिला: राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, चारों भारतीय-अमेरिकी अपने रिपब्लिकन विरोधियों के खिलाफ आराम से खड़े हैं। वहीं, बिजनेसमैन श्री थानेदार मिशिगन के 13वें कांग्रेसी डिस्ट्रिक्ट से चुनाव लड़ रहे हैं। निर्वाचित होने पर, वह बेरा, खन्ना, कृष्णमूर्ति और जयपाल के साथ अगली कांग्रेस में पांचवें भारतीय-अमेरिकी होंगे। चेन्नई में जन्मी 57 वर्षीय जयपाल प्रतिनिधि सभा के लिए चुनी जाने वाली पहली और एकमात्र भारतीय-अमेरिकी महिला हैं।
इस चुनावी चक्र के दौरान एक और भारतीय-अमेरिकी मैरीलैंड राज्य में इतिहास रचने के लिए पूरी तरह तैयार है। मैरीलैंड हाउस ऑफ डेलीगेट्स की पूर्व सदस्य अरुणा मिलर डेमोक्रेटिक टिकट पर राज्य के उपराज्यपाल के चुनाव में खड़ी हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर वह जीतती हैं तो उस स्थिति में वह मैरीलैंड में इस पद के लिए चुनी जाने वाली पहली भारतीय अमेरिकी होंगी।
इस बीच, डेमोक्रेट और रिपब्लिकन ने 8 नवंबर 2022 को होने वाले मध्यावधि चुनाव से पहले भारतीय-अमेरिकियों तक पहुंच बढ़ाने के अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। वाशिंगटन पोस्ट ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय-अमेरिकी कुछ कड़े मुकाबले में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
देश की दिशा निर्धारित करने का अवसर: भारतीय-अमेरिकी इम्पैक्ट के कार्यकारी निदेशक नील मखीजा के अनुसार, “2016 में पेंसिल्वेनिया का फैसला 45 हजार से कम वोटों के मामूली अंतर से हुआ था। उन्होंने कहा, “इस नवंबर में, हम दृढ़ हैं जैसा कि हमने जॉर्जिया में किया था, जब हमने मतदान को डबल कर दिया था। अकेले पेंसिल्वेनिया में 1,00,000 से अधिक दक्षिण एशियाई अमेरिकी मतदाताओं के साथ, हमारे पास देश की दिशा निर्धारित करने का अवसर है।”