Benjamin Netanyahu : इजराइल के आम चुनाव में 73 साल के लिकुड पार्टी के प्रमुख बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने सेंटर लेफ्ट प्रतिद्वंदी यैर लेपिड को हरा दिया है। इजराइल के प्रधानमंत्री पद पर सबसे लंबे समय तक रहने वाले नेतन्याहू पांचवा चुनाव जीतकर छठी बार पीएम बनने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बेंजामिन नेतन्याहू को इजराइल के आम चुनावों में उनकी इस सफलता के लिए बधाई देते हुए कहा है कि वह भारत-इजराइल रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के लिए अपने संयुक्त प्रयासों को जारी रखने के लिए तत्पर हैं।
नेतन्याहू का राजनीतिक सफर
बेंजामिन नेतन्याहू का जन्म 1949 में इजराइल के मशहूर शहर तेल-अवीव में हुआ था।1963 में उनका परिवार अमेरिका चला गया था। वह “बीबी’ के नाम से काफी मशहूर हैं। पहली बार 29 मई 1996 को शिमोन पेरेज़ के सामने लगभग 1 प्रतिशत के अंतर से इजराइल के प्रधान मंत्री चुने गए थे वहीं 18 जून 1996 को सरकार बनाने के बाद नेतन्याहू इजराइल के प्रधान मंत्री के रूप में सेवा करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे।
प्रधानमंत्री बनने से पहले देश की सेना का हिस्सा रहे और इस दौरान कमांडो और कैप्टन भी रहे। नेतन्याहू ने 1988 में लिकुड सदस्य के रूप में कैसेट (इजरायल की संसद) के लिए चुने जाने से पहले कई राजदूत पदों पर कार्य किया। उन्होंने विदेश मामलों के उप मंत्री (1988–91) और फिर प्रधानमंत्री यित्ज़ाक शमीर के गठबंधन कैबिनेट (1991) में उप मंत्री के रूप में कार्य किया।
1999 के चुनावों में नेतन्याहू को लेबर पार्टी के नेता एहूद बराक ने आसानी से हरा दिया था। 2009, 2013, 2015, 2019 और अब 2022 के चुनावों में जीतकर वह छठी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।
घूसखोरी, धोखाधड़ी के आरोप लगे
बेंजामिन नेतन्याहू का नाम 2019 में तब चर्चा में आया था जब उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा था। हालांकि उन्होने इन आरोपों को गलत बताया था। उनपर आरोप लगे थे कि उन्होंने धनी व्यापारियों से महंगे तोहफे लिए और खबरों में बने रहने के लिए मीडिया को खरीदने का प्रयास किया था। नेतन्याहू ने इसे विपक्ष की साजिश बताया था।
फ़लस्तीन को लेकर सख्त रुख
बेंजामिन नेतन्याहू फ़लस्तीन को लेकर सख्त नेता के रूप में देखे जाते रहे हैं। इजराइल-फ़लस्तीन संघर्ष दुनिया में चर्चित है। नेतन्याहू लंबे समय से इजराइल के साथ एक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना का विरोध करते रहे हैं। 2005 में उन्होंने कब्जे वाले ग़ज़ा पट्टी से इजराइल की वापसी के विरोध में इस्तीफा दे दिया था।