लिज ट्रेस ब्रिटेन की पीएम बनीं तो उसके लिए उन्हें 60 दिनों तक जूझना पड़ा। लेकिन महज 45 दिनों के भीतर एक झटके में ही उनकी कुर्सी चली गई। 5 सितंबर को वो कजरवेटिव पार्टी की नेता चुनी गई थीं। बोरिस जॉनसन ने 7 जुलाई को कुर्सी छोड़ी थी। लिज उससे पहले ब्रिटिश फॉरेन सेक्रेट्री थीं। उन्होंने कड़े मुकाबले में भारतीय मूल के ऋषि सुनक को हराया था। एक के बाद एक करके जब उनके मंत्री सरकार को अलविदा कहने लगे तो उनके पास सिवाय इस्तीफा देने के कोई और चारा भी नहीं बचा था।
फिलहाल ब्रिटिश पीएम की रेस के लिए नए दावेदार उभरने लगे हैं। इनमें ऋषि सुनक को ही सबसे ज्यादा हॉट माना जा रहा है। सुनक ने लिज ट्रेस को कड़ी टक्कर दी थी। एक समय तो माना जा रहा था कि वो ब्रिटेन के पीएम बन ही जाएंगे। लेकिन उसके बाद के दौर में तेजी से बाजी पलटी और लिज ट्रेस आगे हो गईं।
लिज ट्रेस ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि जिस चीज के लिए वो चुनी गई थीं, उसे आगे बढ़ाने में नाकाम हो रही हैं। नए पीएम के चुनाव तक वो ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनी रहेंगी। हालांकि उनके फैसले के बाद ब्रिटिश करंसी पाउंड ने उछाल ले लिया। लिज के जाने के बाद पाउंड में .36 फीसदी का उछाल आया।
हालांकि उनके फैसले से लोगों को अचरज भी हुआ, क्योंकि 24 घंटे पहले ही उन्होंने कहा था कि वो भागने वाली नहीं हैं। खास बात है कि उनके पीएम बनने के बाद ही ब्रिटिश महारानी का निधन हो गया औक 10 दिनों तक वो उसमें ही व्यस्त रहीं। यानि काम करने के लिए उन्हें बहुत थोड़ा वक्त मिला। लेकिन जितने भी समय वो पीएम की कुर्सी पर रहीं। बखेड़े खड़े होते ही रहे।
रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने ब्रिटेन में हुए घटनाक्रम पर कहा कि ऐसी बेकद्री किसी पीएम की वहां पर पहले नहीं देखी। टेलीग्राम पर दिए संदेश पर उनका कहना था कि ये देखकर लगता नहीं है कि वहां लोकतंत्र है। खास बात है कि लिज ने जब बोरिस जॉनसन की कुर्सी संभाली थी तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने कहा था कि ब्रिटेन ने जिस तरह से अपने पीएम को चुना वो किसी भी नजरिये से लोकतंत्र की सफलता तो नहीं कही जा सकती। पुतिन का कहना था कि लिज को लोगों ने नहीं चुना। बल्कि कजरवेटिव पार्टी ने बैलेट के जरिए उनका चुनाव कराया।